कविता

कैसे बचाओगे बेटियो को तुम

शिक्षा के मन्दिर मे , बलात्कार करते हो तुम,
गुरु के पवित्र नाम पर , कलंककित होते हो तुम,
हे भारत के ज्ञान दाता , ज्ञान के मन्दिर को ,
बेटियों की इज्जतो से खेलते हो तुम ,
गुरु के नाम को बदनाम के रंग से रगते हो तुम,
लड़कियो के शरीर को खिलौना समझ खेलते हो तुम,
तुम इंसानो को कोई ना समझे ,
हैवान हो इस मानवरूपी धरती पे तुम ,
नाम गुरु का ज्ञान दाता कहते है तुम्हें ,
तुम इज्जत से खिलवाड़ने वाले नरभक्षी हो तुम ,
कौन तुम्हारी आँखों पे विश्वाश करेगा ,
शिक्षक के पवित्र रिश्ते को बदनाम करते हो तुम ,
भारत के सविधान पे घिन आती है मुझें ,
ऐसे कमजोर कानून बना दिये हो तुम ,
ना सुरक्षित है यहाँ लड़कियाँ, बहन हमारी ,
कैसे तुम नरभक्षीयो मिटोगे तुम ,
भारत माँ के नन्ही सी बेटियो को कबतक दबोचोगे तुम ,
तुम भी अपनी माँ बेटियों की भी वैसी ही जिन्दगी देखोगे तुम !
काश तुम मर्द नही नामर्द होते ,
खुद उसी नर्क जिन्दगी से मरते तुम !
~ रूपेश कुमार 

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - rupeshkumar01991@gmail.com