गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

आग नहीं हूं मैं कुछ लोग फिर भी जलते हैं
मुझको गिराने में वो हर बार फिसलते हैं

उनसे भी मिला करो जिनकी ज़ुबां है कड़वी
बचो उनसे जो कानों में ज़हर उगलते हैं

देती है सुकून आख़िर मेरी ही मोहब्बत
आज भी दिल जब हसीनाओं के मचलते हैं

अश्कों का सैलाब उमड़ पड़ता है आंखों से
जब दर्द देने वाले इस दिल में मिलते हैं

इश्क़ इज्जत इबादत कुछ भी कर लो
आशिक़ बदलने वाले फिर भी बदलते हैं

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com