ऋतु बसंत
करें अभिनन्दन
माँ शारदा का !
..
माँ वीणापाणि
देती आशीष सदा
ज्ञानार्जन का !
…
झूमते बौर
कूके कोयल डाली
आया बसंत !
…
हे ऋतुराज
कर दो हरा भरा
हर उद्यान !
..
पूजन होता
माता सरस्वती का
आया बसंत !
…
© सीमा ‘सदा’
सीमा सिंघल 'सदा'
जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश)
*शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र)
*लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय ।
*काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क .
*मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं
कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर
कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ...
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