कविता

जो तुम नहीं

जो तुम नहीं

जो तुम नही आज साथ मेरे,
गलती तुम्हारी नही इसमें,
मोहब्बत मैंने की थी तुमसे,
तुमको मोहब्बत आती न थी ।।

देखो यह सफर लम्बा ,
तय कर रही हूँ अकेली,
क्योंकि तुम नहीं साथ,
मैं और मेरी मोहब्बत तन्हा ।।

अब हर सफर , मंजिल पर,
जाना होगा मुझे ही अकेले,
कब तक तेरा इंतज़ार करूँ,
तेरे बिन जीना होगा ।।

जो तुम नहीं संग मेरे,
कोई गम नहीं यह बड़ा
तेरी यादें तो है संग मेरे,
सफर होगा इसके साथ सुहाना।।।

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।