कविता

2020 का भारत

बीस बीस का भारत अपना
सभी मुल्को पर तीस  हो
ना पड़े जरूरत किसी की
ऐसी प्रगति चहुँ ओर हो।
अपने पराये का भेद मिटे
सभी के हृदय समरूप हो
अनेकता में एकता की
पुनः ऐसे ही गठजोड़ हो।
एक भारत श्रेष्ठ भारत
नारा सबके अनुरूप हो
फले फूले बढे सभी
ऐसा नेक प्रारूप हो।
जन जन की आकांक्षा
ना बढ़ पाए महत्वाकांक्षा
जिन पर लगाम लगाने की
विधि प्रणाली मजबूत हो।
बल बुद्धि विकास भी
रफ्तार दे रहे सरकार की
जन आकांक्षाओं के लिए
ऐसी नीति प्रणाली विकसित हो।
जब जब आए विपदा
सभी को मदद की चाहत जगे
बने बीस बीस  का भारत
सभी मुल्को पर तीस लगे।
— आशुतोष

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)