गीत/नवगीत

गीत – वही दोष में भागीदार

क्यों गंगा को मैली करते, इस पर करना हमें विचार ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वही दोष में भागीदार ।।

गंगा अपनी मैली करते, जाकर खुद के धोने पाप ।
पावन नदियाँ मैली होकर, शायद देती होगी श्राप।।
दूषित जल से बोलो कैसे, जनता का होगा उद्धार ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वही दोष में भागीदार ।।

नहीं जरा भी जल संकट की,जिनको हैं कोई परवाह।
व्यर्थ बहाते नीर बहुत सा, करते सबसे बड़ा गुनाह ।।
पाप-पुण्य के सदा बहाने, करते रहते कुछ व्यापार। ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वही दोष में भागीदार ।।

पॉलीथिन नदियों में डाले, बहुत बड़ा करते अपराध ।
पाबंदी के बाद आज तक, रहें सदा ही मतलब साध ।।
ऐसे व्यवसायी लोगों से, बन्द करें अपना व्यवहार ।
नीर प्रदूषित करते जो भी, वही दोष में भागीदार ।।

— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

जयपुर में 19 -11-1945 जन्म, एम् कॉम, DCWA, कंपनी सचिव (inter) तक शिक्षा अग्रगामी (मासिक),का सह-सम्पादक (1975 से 1978), निराला समाज (त्रैमासिक) 1978 से 1990 तक बाबूजी का भारत मित्र, नव्या, अखंड भारत(त्रैमासिक), साहित्य रागिनी, राजस्थान पत्रिका (दैनिक) आदि पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, ओपन बुक्स ऑन लाइन, कविता लोक, आदि वेब मंचों द्वारा सामानित साहत्य - दोहे, कुण्डलिया छंद, गीत, कविताए, कहानिया और लघु कथाओं का अनवरत लेखन email- lpladiwala@gmail.com पता - कृष्णा साकेत, 165, गंगोत्री नगर, गोपालपूरा, टोंक रोड, जयपुर -302018 (राजस्थान)