गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

आँखो का भरना बहुत ही आसान था,

पलकों का सूखना बड़ा मुश्किल हो गया।
गिरना इस  जमाने में बड़ा आसान था,
निगाहों में उठना बड़ा मुश्किल हो गया।
जो कब्र ए तन्हाई में तन्हा जला करता था,
देखो आज वो चराग ए महफिल हो गया।
भीगता रहा अश्कों से हरपल दामन हमारा,
फिर भी प्यासा दिल का ये साहिल रह गया।
उम्मीदों की सराय में कभी पलभर टिका नहीं,
देखो  दिल कैसा पढा लिखा जाहिल रह गया।
जिंदगी ले गया वो इस दिल से  जानेवाला,
जाने किसके इंतजार में धडकता दिल रह गया।
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश