कविता

मेरे हमसफ़र

जब से आए हो तुम मेरे जीवन में,
जिंदगी खुशनुमा सी लगती है।

मुरझा गई थी जो अरमानों की बगिया,
वो अब खिली खिली सी लगती है।

मेरे दिल मेरे खयालों में तुम ही रहते हो,
मेरे चेहरे पर मुस्कान तुम्हारी बसती है।

निगाहों को तलब है तुमसे दीदार की,
हर घड़ी सांसें बेकरार रहती हैं।

तुमसे मुलाकात होगी कभी न कभी,
मेरी धड़कन यह मुझसे कहती है।

— कल्पना सिंह

*कल्पना सिंह

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