लघुकथा

कद

कवि कृष्ण सिंगला के लिए 18 फरवरी, 2020 सम्भवतः सबसे यादगार दिन होगा. उस दिन हमारे ब्लॉग पर इनकी पहली रचना ”दिल तो तुम्हारा मेरे पास है (कविता)” प्रकाशित हुई थी. ज़ाहिर है कि इस दिन कृष्ण भाई ब्लॉग देखकर बहुत रोमांचित और उत्साहित हुए होंगे. आखिर इनकी पहली रचना जो थी, वह भी भेजते ही प्रकाशित हो गई थी.

इसी रोमांच और उत्साह में उन्होंने लिखा- ”आदरणीय लीला बहन जी, मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि आपके द्वारा इतनी जल्दी मेरी कविता छपेगी. आज मेरी ज़िंदगी में बहुत ही खुशी का दिन है. आपने मुझे ज़मीन से उठाकर आकाश की बुलंदियों तक पहुंचा दिया, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!! मैं आपका आभारी रहूँगा.” निश्चय ही उनका कद बढ़ गया था.

आभारी तो हम उनके हैं. कद क्या केवल उनका बढ़ गया था! इतनी बड़ी उपलब्धि पर उनका कद तो बढ़ना ही था. उन्होंने बहुत-से लोगों को रविंदर सूदन की रचनाएं पढ़ते और सराहते देखा. इनके मन में भी लिखने की ललक पैदा हो गई. इसी ललक ने इस पैदाइशी कवि को ललकारा. कागज पर कविता तो बहुत सुंदर लिखी गई, लेकिन छपे कैसे! इन्हें हिंदी में टाइप करना नहीं आता था, रविंदर भाई से सीखा, कामेंट लिखना नहीं आता था, रविंदर भाई से सीखा और हमारे ब्लॉग पर कामेंट लिखने से शुरुआत की. ब्लॉग ”चौथा बेटा (लघुकथा)” में कामेंट आया-

”आदरणीय बहन जी मैं रविंदर जी के साथ दोराहा में रहता हूं. आपके लेख मुझे बहुत अच्छे लगते हैं. मैं अपनी स्वरचित कविता आपके माध्यम से भेजना चाहता हूं. क्या आप कुछ मदद कर सकती हैं? धन्यवाद.”

”प्रिय कृष्णा भाई जी, आप अपनी जितनी भी रचनाएं भेजना चाहें, भेज दीजिए. प्रकाशन के अवसर हम निकालते रहेंगे.” हमारा यह त्वरित संदेश मिलते ही इन्होंने कविता भेजी, जो तुरंत ही प्रकाशित भी हो गई.

कविता प्रकाशित होते ही ‘वियोग श्रंगार की कविता’ का कद बढ़ गया. वियोग श्रंगार की इतनी भावपूर्ण, अनुपम, अप्रतिम, नायाब कविता हमारे सामने बहुत समय के बाद आई थी.

कद हमारे ब्लॉग का भी बढ़ गया था, जिसे कृष्ण सिंगला की इस कविता ने अलंकृत कर दिया था.

कद हमारे पाठकगण और कामेंटेटरगण का भी बढ़ गया था, जिन्होंने इतनी खूबसूरत रचना को हाथों-हाथ लिया और एक-से-एक नायाब प्रतिक्रियाएं लिखीं.
कद कृष्ण सिंगला के साथियों और रिश्तेदारों का भी बढ़ गया था, जिन्हें इतनी नायाब कविता पढ़ने का नायाब अवसर मिला था.

कद रविंदर भाई का बढ़ गया था, जिन्होंने कदम-कदम पर कृष्ण सिंगला जी की हर संभव सहायता की. कृष्ण सिंगला जी का उत्साह देखिए. धीरे-धीरे ही सही, उन्होंने सबका व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद किया.

कद कृष्ण सिंगला की बेटी निशि का भी बढ़ गया था. खुशी से अत्यंत भावुक हुई बेटी निशि सिंगला ने लिखा- ”बहुत सुंदर कविता. बयान करने को शब्द नहीं हैं.”
और
”अपने पिता जी की तरफ से”.
इस छोटी-सी, प्यारी-सी, भावुक-सी प्रतिक्रिया ने प्रकाश मौसम भाई को इतना भावुक कर दिया, कि उनकी कलम से निकला-

”आपके ये शब्द मुझे एक अलग अनुभव को महसूस कराते हैं. बेटी, आज आपका कद और भी ऊंचा हो गया है. आज का पल कल से अच्छा है, मान भी लीजिए कि आज जन्मदिवस है..आज सेलिब्रेट कर लीजिए, हार्दिक शुभकामनाएं…. 🎂 ..शुक्रिया….🌹.”

हिमालय के समान ऊंचे कद के कृष्ण सिंगला जी की ऊंचे कद की उपलब्धि ने सबका कद बढ़ा दिया. ऊंचे हुए कद का जश्न अभी जारी है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कद

  • लीला तिवानी

    हमने कृष्ण सिंगला जी को पैदाइशी कवि कहा है. असल में वे भावनाओं और संवेदनाओं के कवि हैं. भावनाओं और संवेदनाओं का कवि निश्चय ही पैदाइशी कवि कहलाने का हकदार है, तभी तो उनकी पहली ही कविता में भावनाओं और संवेदनाओं की इतनी खूबसूरत और तेजवान छटा दिखाई दी. पहली ही कविता में भावनाओं और संवेदनाओं की इतनी खूबसूरत और तेजवान छटा दिखाई देना कृष्ण सिंगला जी को विशेष बनाता है. कृष्ण सिंगला जी और उनकी बेटी के साथ उन सबको को हमारी ओर से कोटिशः हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं, जिनका कद ऊंचा हो गया है.

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