कविता

होली पर सब एक हो जाये

अपनेपन के रंगों से मन की पिचकारी भर दो।
अबके होली में तुम सबको एक रंग में भर दो।।

ना हिन्दू हो,ना कोई मुस्लिम,एक रंग में सबको रंग दो।
इस होली में तुम सबको एक ही मजहब में रंग दो।।

एक बच्चे सा मन हो सबका,ना मन मे कोई भेदभाव हो।
इस होली में सबको सबसे गले लगाने का एक भाव हो।।

ना नीला,ना हरा गुलाबी प्यार भरे शब्दो का रंग बनाओ।
मिट्ठी बातों से फिर एक दूजे के गमो को अपना बनाओ।।

आओ इस होली पर पूरे भारत को एक रंग से भर दे।
प्रण करे हम सब ऐसा,सबका मजहब भारतवासी कर दे।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)