लघुकथा

लीक से हटकर

बेटी के जन्मदिन की पार्टी में बुलाने के लिए फोन एवं सन्देश में अतिथियों को स्पष्ट सूचित कर दिया कि उपहार स्वीकार नहीं किए जाएंगे। उपस्थिति एवं आशीर्वाद ही अनमोल उपहार होगा। कई व्यक्ति उनको मिले उपहारों को देने वाले का टेग हटाए बिना ही फारवर्ड कर स्वयं को स्मार्ट समझते हैं। कई व्यक्ति इसलिए नहीं आते कि कुछ लेकर जाना पड़ेगा। इसलिए लीक से हटकर यह निर्णय लेना पड़ा। मेरी भावना का सभी ने सम्मान किया एवं घर में ही बनवाए गए सब्जी पूडि हलवा पुलाव को प्रेम पूर्वक स्वीकार किया। हलवाई की कोई मिठाई नहीं थी। मात्र घर के बने साधारण भोजन को सभी ने सराहा। सभी को पत्तलों में मनुहार सहित परोसा गया। हालांकि मेरी बेटी मेरे से भी अधिक उम्र वाले बुजुर्गो के आशीर्वाद एवं भाभी भैया के फूलों के गुलदस्ते को अस्वीकार नहीं कर सकी। पर बिना उपहारों की लीक से हटकर इस पार्टी ने हमारे नगर में सभी को एक सकारात्मक सन्देश दिया।
—  दिलीप भाटिया 

*दिलीप भाटिया

जन्म 26 दिसम्बर 1947 इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और डिग्री, 38 वर्ष परमाणु ऊर्जा विभाग में सेवा, अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक अधिकारी