कविता

क्योंकि मैं सत्य हूं

मैं कल भी अकेला था
आज भी अकेला हूं
और संघर्ष पथ पर
हमेशा अकेला ही रहूंगा

मैं किसी धर्म का नहीं
मैं किसी दल का नहीं
सम्मुख आने से मेरे
भयभीत होते सभी

जानते हैं सब मुझको
परंतु स्वीकार करना चाहते नहीं
मैं तो सबका हूं
किंतु कोई मेरा नहीं

फिर भी मैं किसी से डरता नहीं
ना कभी झुकता हूं
ना कभी टूटता हूं
याचना मैं करता नहीं
संघर्षों से थकता नहीं

झुक जाते हैं लोचन सबके
जब मैं नैन मिलाता हूं
क्योंकि मैं सत्य हूं
केवल सत्य हूं

बादलों द्वारा ढक जाने से
गति सूर्य की रुकती नहीं
कितनी भी हो विपरीत परिस्थितियां
परंतु मेरी पराजय कभी होती नहीं

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com