गीतिका/ग़ज़ल

जिंदगी

आज आंखों में आंसू उतर आए।
जैसे शाम को भूला कोई घर आए।
कई सदियां बीत गई जैसे,
और फिर वही रहगुजर आए।
उस अजनबी को देखा तो सिलसलेवार,
हो ताजा याद ग़म -ए- सफ़र आए।
याद आते ही वो एक नाम,
बस आंखों में शिकन उभर आए।
भूला बैठे हैं हम खुद को ही,
वो याद कुछ इस कदर आए।
काश आए फिर वो जिंदगी,
कि इक खुशी ही हरसू नजर आए।
भुलाकर पुरानी वो जिंदगी,
हम जीने को फिर से संवर आए।
— प्रियंका अग्निहोत्री गीत

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी