गीत/नवगीत

जीवन साथी

संध्या जो आए मन घबराए
जीवन साथी तुम बिन हाए
लागे न तुम बिन सांझ सुहानी
झुकती घटाएं रुत मस्तानी
मन की जलन को और बढ़ाए
जीवन साथी तुम बिन हाए
बीत गए जाने कितने पल
आंखों से बरसे बनके जल
फिर भी प्यास बुझा ना पाए
जीवन साथी तुम बिन हाए
रात कभी जो महक उठती है
स्वप्न सुहाने हो जाते है
मन सागर सा लहरा जाए
जीवन साथी तुम बिन हाए
चांद अधूरा रात अधूरी
मन की है हर बात अधूरी
यूं ही रुत आए रुत जाए
जीवन साथी तुम बिन हाए
— पुष्पा ” स्वाती “

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है