गीतिका/ग़ज़ल

होली आई

गीत खुशी के गाओ की होली आई
हंसो और हंसाओ की होली आई!
मौज मस्तियों का आलम है ऋतुओं,
गम सभी भुलाओ की होली आई।
बुरा ना मानो रंगों के इस त्योहार में
रुठे हुये को मनाओ की होली आई!
मिटाकर बीज नफरत बैर द्वेष के सब
खुशी के दीप जलाओ की होली आई!
भाईचारा अपनापन कायम रहे दिल
दिल से दिलमिलाओ की होली आई!
भुलाकर गिले शिकवे पुराने से पुराने
जी भर के मुस्कुराओ की होली आई!
— आशीष तिवारी निर्मल

*आशीष तिवारी निर्मल

व्यंग्यकार लालगाँव,रीवा,म.प्र. 9399394911 8602929616