कविता

तिरंगे को उठाया है तो….

तिरंगे को उठाया है तो तुम इसका सम्मान भी करना।
दिल में कुछ होंठों पे कुछ हो ऐसा कोई काम न करना।

तुम वही हो वही वतन है, डर है या फैलाया गया है;
कुछ बहके हैं कुछ नासमझ कुछ को भ्रमाया गया है।

वो जो कल अपने थे,आज भी अपने हैं पराए नहीं हैं;
क्यों बहकावे में आकर कहते हम वतन के साए नहीं हैं।

याद करेंगे सब हमेशा अब्दुल कलाम से नगीनों को;
करते नाम रोशन जो सबका, सलाम ऐसे मस्तानों को।

मज़हब तो हमें यूं कल भी लड़ना सिखाता नहीं था;
या फिर पहले किसी को नफरत फैलाना आता नहीं था।

आज फिर नफरत कहां से इतनी भर आई है;
लगता हवा है जो कहीं से ज़हर घोल कर लाई है।

जागो,सोचो और समझो शिक्षा को न बदनाम करो;
विधा के मंदिर में न छुपे मकसद को कामयाब करो।

देश हित में सोचो विश्व देख रहा हैरान निगाहों से;
क्या याद करेगा इतिहास वरना सिसकती आहों से।

पहले हम पर मातृभूमि का कर्ज सर्वोपरि होता है;
मज़हब ,जाति तो सब बाद में जीवन में होता है।

है गर्व उस पर जो भी वतन की परवाह करता है;
देशहित के ऊपर न जो अपने मज़हब को रखता है।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |