गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल 

अपने चेहरे को आईना करके
ज़िंदगानी से जी वफ़ा करके

उम्र भर आँसुओं में डूबा हूँ
एक इंसान को ख़ुदा करके

आप आए नहीं जला दीपक
सर्द रातों से इल्तज़ा करके

कर सभी का भला ज़माने में
तू बुरा पाएगा बुरा करके

मुश्किलें और भी बढ़ाई हैं
ज़हर के पौधे को बड़ा करके

— बलजीत सिंह बेनाम

बलजीत सिंह बेनाम

सम्प्रति:संगीत अध्यापक उपलब्धियाँ:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ सम्पर्क सूत्र:103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी हाँसी:125033 मोबाईल:999626610