कुण्डली/छंद

छंद

कोरोना का रोना नहीं, रोना बारबार भाई
करो ना कोरोना, मँहगाई मार डालेगी
धरोना कदम फूँक-फूँककर, यहाँ-वहाँ
करो ना निभाओ ये मिताई, मार डालेगी
धोना हाथ , हाथ ना मिलाना अनजान संग
पहचानवालों से जुदाई मार डालेगी
डरो ना कोरोना से ना होना जाना कुछ नहीं
कोरोना को आपकी, ढिठाई मार डालेगी।

कोरोना की मार देखो, रूप है बेहाल देखो
अंगो को दिखानेवाली, मुख को छिपाती हैं
गली-गली माॅल-मॉल, झूमती थीं डाल-डाल
डाॅल सारा दिन अब, घर में बिताती हैं
हग हुआ फिस्स, अब किस डिसमिस देखो
नैना ही मिलाती अब, हाथ ना मिलाती हैं
कोरोना के नाम से करीना हो या कैटरीना
जूली-मिली-शीला-रानी, सब घबराती हैं।

दल भूल जाएँ दलदल भूल जाएँ
बस देश के प्रधान की बात याद रखिए
लड़िए झगड़िए बिगड़िए जी चाहे आप
मतभेद रखिए ना मनभेद रखिए
काल विकराल बन नयी चाल चल रहा
काल के प्रहार के वार याद रखिए
कोरोना को मारना है सबकी जवाबदारी
जाति-धर्म छोड़ के वतन याद रखिए।

धर्म हैं अनेक पर, एक नेक रीत यहाँ
प्राणों से भी हमको, वतन रहा प्यारा है
एक सुर एक ताल, ताल से मिला के ताल
सीना तान डँटे जब, रिपु ललकारा है
आज है बजायी थाल, ईंट भी बजा ही देंगे
कोरोना को हमने, फकत दुत्कारा है
देश की पुकार पर, भेदभाव त्याग कर
साथ-साथ गा रहे हैं, भारत हमारा है।

— शरद सुनेरी