कविता

बहन

दिखती है जिसमें
मां की प्रतिच्छवि
वह कोई और नहीं
होती है बान्धवि

जानती है पढ़ना
भ्राता का अंतर्मन
अंतर्यामी होती है
ममतामयी बहन

है जीवन धरा पर
जब तक है वेगिनी
उत्सवों में उल्लास
भर देती है भगिनी

 

:- आलोक कौशिक 

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com