बाल कविताबाल साहित्य

गुड़िया की शादी

 

 

गुड़िया की शादी

बात सुनो न दादी प्यारी।।                                    गुड़िया दस की हुई हमारी।
पिंकी के घर गुड्डा आया।
रिश्ता उसने है भिजवाया।

देखो कैसा शुभ अवसर है।
गुड्डा सेना में अफसर है।
तारीख तुम्हे सुझानी होगी।
तैयारी सब करवानी होगी।

सभी सहेली भी आएंगी।
गीत ब्याह के वो गाएंगी।
पर गुड़िया को तुम्ही सजाना।
सुंदर सी साड़ी पहनाना।

हँस कर बोली दादी अम्मा।
टिन्नी सुन लो मेरा कहना।
गुड़िया अपनी नहीं पढ़ी है।
पैरों पर भी नहीं खड़ी है।

और बड़ी इसको होने दो।
उम्र अठारह की छूने दो।
पहले इसको खूब पढ़ाओ।
दुनियादारी इसे सिखाओ।

बात समझ गयी टिन्नी सारी।
दादी सच है बात तुम्हारी।
माना कि गुड्डे में दम है।
पर अपनी गुड़िया क्या कम है।

पिंकी के घर हो आती हूँ।
जा कर के समझा आती हूँ।
अब शादी में होगी देरी।
पहले गुड़िया पढ़ेगी मेरी।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा