गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

उत्साह उमंग से आज गम भुला चलें।
खुशीयों को ढूँढ के गले से लगा चलें।
इठला के बढ़े चले जिंदगी का नाम है,
रूकें नहीं कदम आगे आगे बढ़ा चलें।
चलती सरिता तोड़ बंधनों के पाट को,
उड़ेल कर प्रेमरस सागर में समा चलें।
निष्फल नहीं कर्म तेरा यह कर्मभूमि है
मिलता फल गीता का सार बता चलें।
पाप भरी  गठड़ी है  सिर पर  फोड़ता,
विचलित न हो सत्य मार्ग अपना चलें।
झूठ के जो बल चला गिरता मैदान में,
हो न कर्म बुरा यह जिंदगी रूला चलें।
अहिंसा के पथ पर परोपकारी ही बनें,
दुख रोग संताप हर जन का उठा चलें।
निंदक निंदा ही करें है स्वभाव उस का,
निदंक पास रखिये हर मंजिल पा चलें।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995