कविता

खुशियाँ तुमसे हैं

जीवन में खुशियाँ तुमसे हैं
यह जाना मैने  आज  सही,
जीवन  के  आँगन  में -थे
अगणित तारे …,
जो लगते थे कितने प्यारे से
कुछ हँसते थे कुछ रोते थे
कुछ  दूर  रहे-कुछ  पास  रहे
कुछ टूट गये-कुछ बिछुड़ गये
पर,हमने कभी न शोक किया
जीवन में खुशियाँ तुमसे हैं
यह जाना मैने  आज  सही ,
उपवन में कितनी कलियाँ हैं
वल्लरियाँऔर पुष्प लतायें हैं
जो नित सुबह सवेरे खिलतीं
और साँझ ढले मुरझा जाती हैं
जो कहती हैं …,
तुम रहो सदा खुश इस जीवन से
क्योंकि ये भी इक दिन मुरझायेगा
यह इस नश्वर जगत का सच है
जीवन में खुशियाँ तुमसे हैं
यह जाना मैने  आज  सही ,
तुम आज मुझे बहला देती हो
संताप  मेरे  तुम  हर  लेती  हो
जबअसहज होता हूँ जीवन में -मैं
पर  डर  लगता  है  सदा  -मुझे
क्या होगा उस एकाकी जीवन का
जब छोड़ चली जाओगी
इस नश्वर निष्ठुर संसृति को
यह  जाना  मैं  आज  सही
जीवन में खुशियाँ तुमसे हैं
 —  शशि कांत श्रीवास्तव 

शशि कांत श्रीवास्तव

1- नाम :- शशि कांत श्रीवास्तव 2- पिता का नाम :- स्व श्री तारा प्रसाद श्रीवास्तव 3- माँ का नाम :- स्व सरोजनी श्रीवास्तव 4- स्थाई पता :- शशि कांत श्रीवास्तव "प्रतिभास" 726/12, स्ट्रीट न0 - 09 शक्ति नगर डेराबस्सी मोहाली पंजाब Pin . 140507 5- फोन नं. :- 9646453610 6- जन्म तिथि :- 08-11-1963 7- शिक्षा :- इंटरमीडिएट ( विज्ञान ) 8- व्यवसाय :- नौकरी 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या :- कुल चौदह रचना 10- प्रकाशित पुस्तकों की संख्या :- आठ साझा संग्रह 11- सम्मान का विवरण :- साहित्यिक उपलब्धि : > प्रथम काव्य संग्रह ,"ख़्वाब के शज़र " श्री सत्यम प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित " प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह " सम्मान स्वरुप > "भावांजलि -काव्य स्मारिका प्रथम " में रचना प्रकाशित > "बज़्मे- ऐ -हिन्द " काव्य संग्रह में प्रकाशित रचना दैनिक वर्तमान अंकुरके सौजन्य से प्रकाशित "प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह " सम्मान स्वरुप > साहित्यिक संस्था -साहित्यपीडिया द्वारा ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता "माँ " में .. सम्मान स्वरूप --प्रशस्ति पत्र ,प्राप्त हुआ ,और रचना "माँ " पार्ट 2 में प्रकाशित हुई .. > इसके अतिरिक्त कई न्यूज़ पोर्टल और समाचार पत्रों में समय समय पर प्रकाशित होती रहती हैं .