कविता

असहाय की हाय

जल थल नभ सब हुए विकल
देख धरा पर हाहाकार

अनदेखा भय भयभीत करे
मानव अब मानव से ही डरे

स्वच्छ चाँदनी फैली चहुँओर
कवि हृदय विकल सब ओर

क्यों कर ऐसी आफत आई
सुझे नहीं जवाब किसी को भाई

तन-मन अब सब थक रहा
एकांत ही सुरक्षित कह रहा।

कितनी भीषण आफत आई
जान शांशत में बन आई ।

मज़हब मरक़ज़ क्यों है जरूरी
पूछें बच्चे यह कैसी धार्मिक मज़बूरी ।

— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com