कविता

दिलखुश जुगलबंदी- 22

खुश होकर खुशियां बांटो और खुशियां बढ़ाओ

आओ, बनाये रखें फासले
अपने लिये, अपनों के लिये
धैर्य और धीरज से
फासले बनाए रखना
मेरे हमराही,
फासलों ने थामी,
जीवन डोर है
रिश्तों में मधुरता भर
दिलों को लाया
और करीब है
-चंचल जैन

ये फासले ही हमारी राहत हैं,
ये फासले ही हमारी राहत बनेंगे,
आज बीच में फासले हैं तो क्या,
कल इन्हीं फासलों से खुशियों के फूल खिलेंगे.
-लीला तिवानी

ये फासले ही दवा हैं,
यें फासले ही दुआ भी,
जीवन की डोर थामे,
फासलों से महकेगी
दुबारा ये जिंदगी भी.

आज फासले बने हैं औजार
फासले ही हमारी ताकत
फासलों से मिला है अवसर
आशियाना अपना सजाने का
रिश्तों में मधुरता लाने का.

फासलों ने रिश्तों को भी समझा दिया है,
जान है तो जहान है,
जान है तो रिश्ते हैं,
जान भी फासलों से बचेगी और रिश्ते भी!

फासलों ने गुनगुनाया मधुर जीवन गीत हैं
सुरमई संगीत है.

फासलों को हौसला बनाने का हुनर हमने सीख लिया,
अब तो फासले आएंगे हमारी पाठशाला, में खुद सबक सीखने.

आत्ममंथन का नतीजा ऐसा हुआ,
अपनी कमियों से दिल हमारा रुबरु हुआ.

आत्ममंथन ने ही हमें इंसां बना दिया,
वरना पत्थर और हम में मीलों का फासला था.

चारों ओर कोरोना का हाहाकार है,
हौसला हमारा बुलंद है,
संयम और संकल्प का प्रण लिया है हम ने,
जीत का मन में विश्वास है.

जीत के इसी विश्वास ने हौसलों को पंख लगा दिए हैं,
वरना हम कब के पस्त हो गए होते.
हमने विश्वास को आका बना लिया है,
अब कौन कर सकता है हमारा बाल भी बांका!

चैन से जीने को तरसने लगे हैं हम
प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा भुगत रहे हम.

कह दो इन फासलों से,
हम वो नहीं जो घबरा जाए इन नजारों से,
सितारे हमसे लाख दूर सही,
दिल मिले हुए हैं सितारों से.

हौसलों के पंख लगा,
बाहों में भर लें आसमां,
फासलों को अपना,
जीत का सच होगा सपना.

फासले ऐसे भी होंगे
ऐसा कभी सोचा न था.

जिंदगी कैसे-कैसे मोड़ मुड़ती है,
पता ही नहीं लगता.

फासले ने फासले से रहना सिखा दिया,
हर मोड़ से पहले मुड़ना सिखा दिया.

अपने ही घर में कैद हो रहना पड़ेगा, सोचा न था,
पिजड़े में बंद तोतें की पीड़ा और दर्द सहना पड़ेगा, सोचा न था.

घर को कैद समझते हो?
दिलखुश जुगलबंदी की संकल्पना को नाकाम करते हो!

तोते की पीड़ा को समझ पाएं हम,
इस मिस घर को कैद कहा है.

-चंचल जैन

तोते की पीड़ा को समझो,
संवेदनाओं को सहलाओ,
न बहको, न बहकाओ,
घर को कैद कहकर, अपनी तपस्या को कमतर मत आंको,
दिलखुश जुगलबंदी की दिलखुशी में झांको,
खुश होकर खुशियां बांटो और खुशियां बढ़ाओ.

-लीला तिवानी

ब्लॉग ‘दिलखुश जुगलबंदी- 21’ के कामेंट्स में चंचल जैन और लीला तिवानी की काव्यमय चैट पर आधारित दिलखुश जुगलबंदी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “दिलखुश जुगलबंदी- 22

  • लीला तिवानी

    खुशियां बांटो कि खुशियां बांटने से तुम्हारा मन महकेगा,
    हिना बांटने वालों के हाथों को हिना स्वयः रंग जाती है.

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