गीत/नवगीत

रंग मंच के पात्र निभाकर…

रंग मंच के पात्र निभाकर, निज किरदार चले जाएंगे।
कौन यहाँ रहने वाला है, सब उस पार चले जाएंगे।।

मिलन वियोग प्रेम रुसवाई, जगमग उजियारे गहरा तम।
जीवन में सब कुछ आना है, आँसू हँसी महफिलें मातम।।
जीत यहाँ पर सब कुछ आख़िर, सब कुछ हार चले
जाएंगे…
कौन यहाँ रहने वाला है, सब उस पार चले जाएंगे…

इतिहासी पन्ने बोलेंगे, जब दुनिया पर संकट आया।
किसने साधा स्वार्थ स्वयं का, किसने अपना धर्म निभाया।।
अमर रहेंगे जो जीवन पर, जीवन वार चले जाएंगे…
कौन यहाँ रहने वाला है, सब उस पार चले जाएंगे…

जीवन का पर्दा गिरने तक, आत्म कथा पूरी होने तक।
रंग मंच पर रहना होगा, साँसों की गिनती होने तक।।
कितनी आँखों को अश्कों की, देकर धार चले जाएंगे…
कौन यहाँ रहने वाला है, सब उस पार चले जाएंगे…

अपने मन से तय करने का, किसको कब अधिकार मिला है
सबको वही निभाना है जो, विधिना से किरदार मिला है।।
कुछ के हिस्से अपयश तो कुछ, पाकर प्यार चले जाएंगे…
कौन यहाँ रहने वाला है, सब उस पार चले जाएंगे…

सतीश बंसल
०३.०४.२०२०

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.