हास्य व्यंग्य

एक व्यंग्य

सोचो आज अगर मार्टिन कूपर ने मोबाइल का आविष्कार न किया होता तो इस लाकडाउन के समय में हमारा क्या हाल हुआ होता। पगला जाते। बाल नोच लेते अपने सिर के । घर पड़े पड़े।सब अपने अपने मुख का शटडाउन करके इसी एक यंत्र के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे है । घरों में शांति का एक बहुत बड़ा हथियार बना हुआ है। दिल की गहराइयों से कूपर के लिए साधुवाद है। आज उन्होंने हमें एक भारी संकट से बचा लिया। क्या बच्चे,जवान,पुरुष हो या स्त्रियां सभी को एक अमूल्य भैंट देकर मानव जाति का बहुत बड़ा उपकार किया है।
सुबह की शुरुआत इसी प्रिय से होती है बिना इसका स्पर्श किए चैन नहीं आता । आज सबसे प्रिय अगर कुछ है तो यह हमारा मोबाइल ही है । इसके सहारे कई घंटो तक हम अपनी भूख प्यास को टाल सकते है । लॉकडॉउन को सफल बनाने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका है । कूपर अपनी इस उपलब्धि के लिए शांति पुरस्कार और देश के सर्वोच्च पुरस्कार की पात्रता के अधिकारी थे । उन्हें यह पुरस्कार क्यों नहीं मिला वो तो इन पुरस्कारों का निर्धारण करने वाली चयन समितियां ही बता सकती है।
बहरहाल आज उन्होंने हमें घर में शांति से रहने का उपकरण उपलब्ध कराकर बहुत बड़ा उपकार किया। मैं उनको अपना धन्यवाद व्यक्त करता हूं

ब्रजेश

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020