लघुकथा

ईमोजी

आज सुमन के बेटे का जन्म दिन है.उसे गुजरे समय की याद बार बार आ रही है. बेट पढ़ लिखकर लंदन में बस गया है. सप्ताह भर पहले से ही वह अपना जन्मदिन मनाने की रुपरेखा तैयार कर लेता था.किस किस को बुलाना है,क्या क्या खिलाना है सब कुछ वह खुद ही तय करता.सुमन का काम बस उस पर अमल करने का होता.

               आज सुमन सुबह से ही फोन लगाकर बेटे को बधाई और आशीर्वाद देने की कोशिश कर रही है पर अभी तक फोन लगा ही नही. हारकर उसने व्हाट्सएप मेसेज भेज दिया और निश्चित हो गयी कि चलो बेटे को मेसेज तो पहुंच गया है अब वह जवाब मे फोन जरूर लगायेगा।
                              पर ऐसा कुछ भी नही हुआ. रात को सोने से पहले सुमन ने फोन खोला तो देखा कि बेटे के व्हाट्सएप से
आई एम बीजी और एक मुँह लटका ईमोजी आया था। जिसे देखकर सुमन का चेहरा भी उसी ईमोजी में बदलता नजर आने लगा।
— अमृता राजेंद्र प्रसाद

अमृता जोशी

जगदलपुर. छत्तीसगढ़