गीतिका/ग़ज़ल

गजल

गर हूँ दर – बदर तो हुआ क्या है
इश्क में जख्मों  के  सिवा क्या है
बातो में ख्याबो में सांसो में वो है
उसके सिवा  मुझमें  बचा क्या है
अजीब बीमारी फैली है इश्क सी
सभी पूछते है इसकी दवा क्या है
प्रेमी , पागलो और शायरों के पास
फाका मस्ती के सिवा मिला क्या है
गर जिश्म न हुआ लहू का पैराहन
तो फिर बता इश्क ए बफा क्या है
बस दो घूँट मय बना देती है खुदा
पीने वाला बोलता है खुदा क्या है
एहतराम से कहता हूँ रिश्ते न बना
साथ चाकू छुरी खंजर बता क्या है
बहुत हँसते हो बिन वजह के ऋषभ
इश्क में हार या धोखा मिला क्या है
— ऋषभ तोमर

ऋषभ तोमर

अम्बाह मुरैना