कविता

लॉकडाउन

लॉकडाउन, कर्फ़्यू, और धारा 144 कहाँ जानती हैं
तुम्हारी यादें कोई सरकारी आदेश कहाँ पालती हैं

न नगर, न शहर ,न सरहद ,न बॉर्डर पहचानती हैं
मुंडेर पर बैठी गौरैया बस तुम्हारा नाम पुकारती हैं

सांझ हो कि सहर दिन हो या कि दोपहर हिचकियाँ
जब आती हैं सारी सीमायें लाँघती हैं

तुम्हारी गज़लें , तुम्हारी नज़्में इस पतझड़ में भी
सुमधुर स्मृतियों की धानी चादर तानती हैं

✍️रजनी त्रिपाठी

रजनी त्रिपाठी

रजनी त्रिपाठी पति श्री राजीव त्रिपाठी हिंदी से स्नातक , प्राथमिक शिक्षा अध्यापिका रुचि : पठन, पाठन, लेखन, जन्मस्थान नई दिल्ली वर्तमान निवास स्थान मुंबई

One thought on “लॉकडाउन

  • रजनी त्रिपाठी

    यादें

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