बाल कविता

मुझे समझाना तुम।

मां सुन सुन के ये समाचार मुझे डर लगता है,
तुम हो मेरे पास फिर भी मुझे डर लगता है।

पापा सब का ध्यान हैं रखते देखो अस्पताल में,
उनके पास बेझिझक जाऊं कैसे मुझे डर लगता है।

आज के हालात देख याद स्कूल की बात आई,
साफ सफाई का महत्त्व बताती टीचर याद आई।

मां गुल्लक में जो पैसे हैं उनको जमा कराना तुम,
देश के लिए मैं भी करूं क्या मुझे समझाना तुम।

हर कोई होगा गंभीर तभी तो हालात ये सुधरेंगे,
हम सब मिलकर मां फिर हर जंग को जीतेंगे।

मां मैं कहीं घबराऊं जो,हालात देख डर जाऊं तो,
तुम मुझे गले लगाकर फिर प्यार से समझाना तुम।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |