बाल कविता

बालगीत “नरेन्द्र मोदी”

दामोदर नरेन्द्र मोदी ने,
सादा जीवन अपनाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।

छोड़ सभी आराम-ऐश को,
संघं शरणम् में आया।
मोह छोड़कर घर-गृहस्थ का,
पथरीला पथ अपनाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।

केशर की क्यारी को जिसने,
संविधान में बाँध दिया।
आजादी के परवानों का,
भारत में सम्मान किया।
उग्रवाद-आतंकवाद से,
कभी नहीं जो घबराया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।

दागे नहीं खयाली गोले,
कूटनीति से काम लिया।
सत्य-अहिंसा के बल पर,
अपने भारत को एक किया।
भटके हुए युवा बिरुओं को,
देशभक्ति को सिखलाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।

दीन-दुखी को अपनेपन से,
हँसकर गले लगाता जो।
खरपतवार हटा धरती की,
भारत स्वच्छ बनाता जो।
अवतारी पटेल का बनकर,
जो भारत में है आया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।

शासक है स्वदेश का ऐसा,
नरेन्द्र मोदी गुजराती।
नई सोच को रखता लेकिन,
जीवन जीता देहाती।
अग्रदूत बनकर विकास का,
थमे चक्र को चलवाया।
भारत भाग्य विधाता बनकर,
पथ समाज को दिखलाया।।

*डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। 2011 में "सुख का सूरज", "धरा के रंग", "हँसता गाता बचपन" और "नन्हें सुमन" के नाम से मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। "सम्मान" पाने का तो सौभाग्य ही नहीं मिला। क्योंकि अब तक दूसरों को ही सम्मानित करने में संलग्न हूँ। सम्प्रति इस वर्ष मुझे हिन्दी साहित्य निकेतन परिकल्पना के द्वारा 2010 के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार के रूप में हिन्दी दिवस नई दिल्ली में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया है▬ सम्प्रति-अप्रैल 2016 में मेरी दोहावली की दो पुस्तकें "खिली रूप की धूप" और "कदम-कदम पर घास" भी प्रकाशित हुई हैं। -- मेरे बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है