मुक्तक/दोहा

दो मुक्तक

राष्ट्रहित जो बहा था खून उसको नमन है,
जलियाँ वाले बाग के शहीदों को कोटि-कोटि नमन है |
अंग्रेजों की गोलियां खाकर हुए कुर्बान उन शहीदों के लिए –
आज भी प्रत्येक भारतीय के हृदय में तपन है ||

गोलियों की तड़तड़ाहट में इंकलाब के गूँजे नारे,
डायर के अत्याचारों से माँ भारती के लाल न हारे |
नर-नारी, बूढे-बच्चे और जवान सबने दी कुर्बानी –
जलियाँ वाला बाग मत भूलना, अंग्रेज बने थे हत्यारे ||

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111