कविता

लाॅकडाउन।

लाॅकडाउन नहीं ये साथी,
जीवन बचाने का प्रण है।
यहां युद्ध नहीं कोई लड़ना,
ये न कोई ऐसा वैसा बंधन है।

जागो समझो और बस ,
छोटी सी शुरुआत करो।
जो सेवा अपनी दे रहे ,
उनका करना अभिनंदन है।

सबको मिलकर लड़ना होगा,
इस संकट से उभरना होगा।
प्रधानमंत्री के इस फैसले पे
सबको मिल करना समर्थन है।

सब मिलकर सहयोग करें,
न व्यर्थ ही इधर उधर फिरें।
कुछ दिन की ही तो बात है,
मानवता की खातिर लेना प्रण है।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |