कविता

समझो जरा इनके जज्बात….

मुश्किल वक्त है और हैं मुश्किल हालात,
जूझ रहे हैं आम नागरिक समझो जरा इनके जज्बात….
जब पूरा विश्व जंग लड़ रहा है कोरोना से,
भारत में चंद लोगों की सियासत हो रही है,
जब साथ होना चाहिए संकट की इस घड़ी में,
तब सता के लोभियों की नहीं इनायत हो रही है।
संपूर्ण वसुधा को अपना कुटुम्ब मानने वाले देश में,
हैरान करने वाली आपसी बगावत हो रही है,
निर्भयता से जो कर रहे हैं देश की हिफाजत,
उन पर ईंट-पत्थरों की बरसात हो रही है।
सत्य अहिंसा और प्रेम का पाठ पढ़े लोगो मे,
कारण उनके अब कहा मुहब्बत हो रही है,
मुल्क को खतरे में डालने वालों,
तुम्हारी ये कैसी इबादत हो रही है।
शस्य श्यामला अतिशय पावन धरा पर,
उन्ही लोगों से बेवजह नफरत बढ़ रही हैं,
जो फैलाएं कोरोना महामारी को,
उनकी  मृत्यु कैसे शहादत हो रही है।
कल तक तुम्हें जो करना था सो किए,
पर आज के किए पर तुमसे शिकायत हो रही है,
इसी एक देश में सबको समान स्वतंत्रता मिली है,
पर दुरुपयोग कर मत समझना कि तुम्हारी ये विरासत हो रही है।
भूल कर भी अब भूल मत करना,
भारत-भु के जनता की ये अदालत कह  रही है,
कही अगर मिल गयी सजा सोचते रह जाओगे,
कब हमारी जमानत हो रही है।
राजीव की यही कहने की हसरत हो रही है,
मुश्किल वक्त है और हैं मुश्किल हालात,
जूझ रहे हैं आम नागरिक समझो जरा इनके जज्बात….
✍🏻 राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

राजीव नंदन मिश्र (नन्हें)

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