कविता

विश्वास

विश्वास है कि काली रात गुजर जाएगी,
विश्वास है कि दुनिया फिर से संवर जाएगी,
विश्वास है सूरज की किरण नया उजाला लाएगा,
विश्वास है कि रात में शीतलता बढ़ जाएगी,
विश्वास है कि बादल फिर से बरसेंगे,
पास है कि पेड़ पौधे फिर से जी उठेंगे,
विश्वास है कि धरती फिर से मुस्कुराएगी,
विश्वास है कि बच्चे मां बाप की सेवा करेंगे,
विश्वास है कि कोई बुजुर्ग अब ओल्ड होम नहीं जाएगा,
विश्वास है कि प्यार की गंगा बहेगी,
विश्वास है कि अब कोई बेटी नहीं जलेगी,
विश्वास है कि हर दिन होली रात दिवाली होगी,
विश्वास है कि यह धरा स्वर्ग से सुंदर होगी,
विश्वास है कि काली रात गुजर जाएगी।।
— गरिमा 

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384