संबंधित लेख
दो बाल काव्यमय कथाएं
1. मीठी-मीठी बातों से सदा बचो गीदड़ तीन देख हाथी को, खाने को थे ललचाए, बिना किसी तरकीब के हाथी, बस में कैसे आ पाए? गीदड़ गठरी लेकर धन की, बोले, ”हाथी मामा जी, नदी पार करके दिखलाओ, बनवा देंगे पजामा जी.” नदी पार करने को जैसे, हाथी उतरा पानी में, दलदल में फंसकर पछताया, […]
हर दिन “वैलेंटाइन डे” : प्रेम-राज्य
“प्रेम दिवस” मनाओ चाहे “प्रेम सप्ताह” मनाओ, सबसे पहले प्रेम-प्यार से परिवार को सजाओ. परिवार में बरसे प्रेम-रस, जीवन मधुरिम होगा, छोटों पर छलकेगा स्नेह-रस, मन भी स्नेहिल होगा. इज्जत-मान बड़ों को मिले तो, सबका जीवन हर्षे, अनुभव तो मिल ही जाते, आशीर्वाद भी बरसे. परिवार हो या कोई संगठन, होता तभी सबल है, सबके […]
बाल कविता : मैं हूँ नन्हा-मुन्ना बच्चा
मैं हूँ नन्हा-मुन्ना बच्चा दिल का हूँ सच्चा-बच्चा पिता मेरे जीवन का आधार खुशियों से भरा पूरा परिवार माँ हरकदम पर मुझे चलाने वाली तो पिता दोनों हाथ बजाते ताली कितनी मनमानी सहते है पापा हमें नेक इंसान बनाते है पापा आज बनी है दिल में तस्वीर पिता ने बनाई मेरी तकदीर जब से ली […]