गीत/नवगीत

बैठ मत यूँ मुश्किलों से हार कर

बैठ मत यूँ मुश्किलों से हार कर।
उठ चुनौती वक्त की स्वीकार कर।।

कौन जाने भाग्य में विधि ने लिखा है क्या किसी के।
क्या पता किस पल बदल जाएं बुरे पल आदमी के।।
हार से मत बैठ यूँ मन मार कर…
उठ चुनौती वक्त की स्वीकार कर…

मुक्त हो जा तोड़ कर पग रोकते सब बंधनों को।
पार कर जा भय निराशा और शंका के दरों को।।
वार ही तय है अगर तो वार कर…
उठ चुनौती वक्त की स्वीकार कर…

चाह की प्यासी धरा को प्यार सागर का मिलेगा।
पत्थरों के बीच में भी देखना जीवन पलेगा।।
जीत पाया कौन मन से हारकर…
उठ चुनौती वक्त की स्वीकार कर…

ज़िन्दगी में चल रहा जो घोर विपदा का समय है।
तू समझता क्यूँ नही तेरी परीक्षा का समय है।।
कर्म से अधिकार पर अधिकार कर…
उठ चुनौती वक्त की स्वीकार कर…

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.