लघुकथा

सप्तपदी (लघुकथा)

कोरोना वायरस की वजह से चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन विवाह समारोह चल रहा था. दूल्हा अपने घर पर था, दुलहिन अपने घर पर और अपने घर से ही विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के डिजिटल माध्यम से पंडित जी बराबर अपनी भूमिका निभा रहे थे. मंत्रोच्चारण जारी था. बाकी सभी रस्में पूरी हो चुकी थीं, अब बारी थी सप्तपदी की.

”अब दूल्हा-दुल्हिन सात फेरे लेकर सात वचन लेंगे. विवाह केवल दो व्यक्तियों का बंधन नहीं, दो परिवारों या कि कहें दो कुलों का बंधन है. बंधन में वचन की भूमिका आप सब जानते ही हैं.” आदतन पंडित जी अपनी रौ में कहे जा रहे थे.

”सप्तपदी के सात कदमों में पहला कदम परिवार में अन्न के लिए, दूसरा बल के लिए, तीसरा धन के लिए, चौथा सुख के लिए, पांचवा परिवार के लिए, छठा ऋतुचर्या के लिए और सातवां मित्रता के लिए चला जाता है.” सप्तपदी के सात कदम चलने की प्रक्रिया के दौरान पुरोहित जी हर कदम पर एक अलग मंत्र का वाचन करते जा रहे थे.

”ये मंत्र ईश्वर की उपस्थिति और उनके आशीर्वाद का अहसास कराते हैं. अंदर से विश्वास जगाते हैं कि एक-दूजे के साथ सच्चाई से चलने पर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता रहेगा.”

उधर किसी बच्चे ने अपने मोबाइल पर रेडियो ऑन कर दिया. रेडियो बोल रहा था-
”पीएम मोदी ने सात बातों पर देशवासियों का साथ मांगा.

पहली बात है कि घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, जिन्हें पुरानी बीमारी हो, उनकी हमें एक्सट्रा केयर करनी है.

दूसरी बात कि हमें लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पॉलन करना होगा. घर में बने फेसकवर या मास्‍क का अनिवार्य रूप से उपयोग करना होगा.

तीसरी बात की चर्चा करते हुए आयुष मंत्रालय के उन सुझावों पर अमल करने की मांग की, जिसमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गर्म पानी, काढ़ा आदि पीने के नुस्खे बताए गए हैं.

चौथी बात संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप जरूर डाउनलोड करें. दूसरों को भी यह ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया जाए.

पांचवीं बात जितना हो सके गरीब परिवार की देखरेख करें. उनके भोजन का प्रबंध करें.

छठी बात कि आप अपने व्यवसाय, उद्योग में अपने लोगों के साथ संवेदना करें. किसी को नौकरी से न निकालें.

सातवीं और आखिरी बात देश के कोरोना योद्धाओं, डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, ऐसे सभी लोगों का हम सम्मान करें.”

”लो भई, विवाह संपन्न होता है. कोरोना के इस विकट समय में विवाह की सप्तपदी के साथ यह सप्तपदी भी बहुत प्रासंगिक है. आशा है आप सब भी इस सप्तपदी का पालन करेंगे और नव दम्पत्ति को विवाह की सप्तपदी के साथ इस सप्तपदी का भी पालन करना होगा. इसके अतिरिक्त मास्क और ग्लव्स का प्रयोग करने, हाथों को बार-बार साबुन से धोकर सेनेटाइज करने, हाथ मिलाना छोड़कर नमस्ते करने, दो मीटर की दूरी रखने, स्वक्छता रखने, धैर्य और अनुशासन बनाए रखने, अपने-अपने घर की सीमा में खुश रहकर अपने-अपने इष्टदेव के ध्यान में लगे रहने के नियमों का पालन तो आप कर ही रहे होंगे. नव दम्पत्ति सहित आप सबको बहुत-बहुत बधाई के साथ तथास्तु.”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सप्तपदी (लघुकथा)

  • लीला तिवानी

    ”मन का दीपक जलाओ,
    खुद भी रोशन रहो औरों को भी प्रकाश पहुंचाओ.”

    ”जलसों को भूल जाइए, घर्से से बाहर मत निकलिए, सुरक्षित रहिए.”

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