गीत/नवगीत

मिलन अब हमारा तुम्हारा न होगा

बहुत दूर मुझसे बसी हो विरागिन
मिलन अब हमारा तुम्हारा न होगा।

किसी दिन तुम्हीं रूपसी बन खड़ी थी,
किसी दिन मिलन की घड़ी ही घड़ी थी,
विहँसती हुई कर ठिठोली नजर से,
मिलन हेतु आतीं तुम्हीं तब शहर से,
तुम्हें देखकर मैं मगन नाचता था,
तुम्हें तो खुदा की विभा मानता था,
मगर भाग्य मेरा छला जब गया है,
तो जीवन में कोई सहारा न होगा।

नये स्वर सजाकर पपीहा न बोले,
कहां तक निहारूँ नयन रोज खोले,
नया गीत गाता नये स्वर बनाता,
तुम्हें देखकर मैं विकल हो बुलाता,
मगर छोड़कर राह मेरी गई तुम,
किया छल न जाने कहां हो गई तुम,
चलूंगा निरन्तर तुम्हें याद करके,
तृषित कण्ठ पर, जल फुहारा न होगा

— कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171