हास्य व्यंग्य

करोना  करोना 

मेरे मित्र भाई भरोसे लाल के पास उन केएक मित्र का फोन आया। कुशलक्षेम के उपरांत स्वाभाविक था वर्तमान क्रोना की बीमारी पर बात हुई। यह भारत में बीमारी का शुरआती समय था। लोगों में अधिक चढ़ा नहीं थी। बस अभी भारत के बाहर ही कुछ केस आये थे तो घरवालों के कानों में नया शब्द करोना करोना कई बार गूँज गया। मेरे मित्र बाहर के कमरे में अपने मित्र से बात कर रहे थे। तो घर वाले अपने २ कामों में लगे हए थे। जब उन के कानों में करोना गूंजा तो उन्होंने इस का अपने २ हिसाब से अर्थ निकलना शुरू कर दिया।
सब से पहले उन की पूज्य माता जी ने सोचा कि मेरा बीटा शायद अब पहले जैसा नहीं रह गया है ,वह अब नालायक हो गया है। वह पहले तो खूब सेवा करता था ,करता तो अब भी है पर जब से बहू आई है तब से बिलकुल बदल गया है। पर वह भी क्या करे पिछले बीस साल से जब दिन रत बहू उस के कण भरेगी तो कुछ न कुछ तो असर होगा ही। पता नहीं रोज २ उसे क्या पट्टी पढ़ाती रहती है। बहू उसे जरूर बेटे से अलग रहने के लिए कह रही होगी। अब बुढ़ापे में मेरी दो रोटियां भी इन्हे भरी पड़ने लगीं हैं। हे भगवान क्या जमाना आ गया है। आजकल तो बड़े बूढ़े की सेवा तो कोई करना ही नहीं चाहता है। पर माल सारा हड़पना चाहते हैं। पर बूढ़े भी तो खुद ही जिम्मेदार हैं क्योंकि वे जूते भी कहते हैं और माल भी या धन सम्पत्ति भी उन्हें ही सौंप कर जाते हैं। पर आजकल की औलाद कहाँ सोचती हैं कि माँ बाप की सेवा ही सब से बड़ा धर्म होता है। सतसंग में जाने का पुण्य तो तभी मिलेगा जब माँ बाप की सेवा करोगे परन्तु आजकल की तो हवा ही उलटी बाह रही हिअ परन्तु मेरा बेटा तो ऐसा नहीं है पर फिर भी वह भी तो आखिर इंसान तो है ही भी उस ने बहू से गुस्से में कह दिया होगा अलग करना है तो करोना .हे भगवान ये दिन भी देखने को मिलेंगे मैंने तो कभी सपने में भी ऐसा  नहीं सोचा था इस मैंने कितने कष्ट सह कर पला पोसा था ,पढ़ाया  लिखाया था और इस के बच्चों को पाल पोस कर बड़े कर दिए और अब यह मुझे अलग करने की कह रहा है। पर मुझे लगता है जरूर उस ने गुस्से में कह दिया होगा पर करेगा नहीं। यह ऐसा नालायक नहीं हो सकता।
साथ ही बहू ने भी दुसरे कमरे में करवा सुन लिया तो सास की ही भांति उस का भी माथा ठनक गया और औरत ही क्या जो अपने पीटीआई पर शक न करेंऔर यह कहावत उस ने सुन ही रखी थी कि आदमी बेशक कितना भी शरीफ क्यों हो पर उसे दुसरे की बीबी और अपने बच्चे अच्छे लगते ही हैं। तो जरूर किसी कलमुँहींए इन्हे कुछ धमकिदी होगी या इन्हे जाल में फंसा क्र जरूर पैसे मांगे होंगे। हे भगवान अब क्या होगा। आजकल औरतें कितनी खराब हो गई हैं पहले तो खूब गुलछर्रे उड़ाती रहतीं हैं और जब मालमिलना बंद हो जाता है तो पुलिस की धमकी देने लगतीं हैं छिनार कहीं की। पता नहीं सरकार भी कैसे कैसे क़ानूनबना देती है अंग्रजों जैसे। भला भारत में भी बिना ब्याह के साथ रहने  जैसे कानूनों की क्या जरूरत है। वैसे तो यहां औरतें करवा चौथ का व्रत करती हैं पर एक छोड़ कर दुसरे कसाथ रहने लगतीं व्याह के ही। इस में आदमी को क्या है फर्क पड़ता है की कौन साथ रह रहा है उसे तो मजे चाहियें पर असली बात की है कि वे बिनाव्याह शादी के ही किसी कभी साथ कैसे रहने लगतीं हैं। प्रोर्टे तो आदमियों की चिकनी चुपड़ी बातों में आ जातीं हैं जल्दी हैकिसी आदमी पर विश्वास कर लेतीं हैं और यही तो उस की सब से बड़ी  गलती है। पर वे अन्समझ बच्चा थोड़ी हैं। आदमीकोटोबस उस का शरीर चाहिए उस के लिए वह कुछ भी नाटक करने को तैयार हो जाता है किसी भी तरह की कसमें खा लेता है। .परन्तु आदमी को उस भावनाओं से क्या लेना देना  .भला यह भीकोई बात हुई। पर ये औरते भी क्या कम है इन्हे भहराम का चाहिए। .इसी लिये तो हनी ट्रेप के केस रोज २ बढ़ रहे हैं। हे भगवान अब क्या होगा। हे भगवान इन्हे भी तो कहीं किसी कलमुंही ने हनी ट्रेप में न फंसा लिया हो और पैसे के लिए धमकी दे रही हो पर ये भी पैसे देने वाले कहाँ हैइसी लिए कह दिया होगा जो करना है करोना।
मेरे मित्र घर बाहरकीत्र्फ़ के कमरे थे जिसे कस्बों में बैठक कहते हैं वह घर के एक छोर पर होता है। वे वहीं पर फोन पर बात कर रहे थे और बात भी कोई छुपी हुई नहीं थी। जो धीरे धीरे करते। इस लिए पापा के फोन की वार्ता केशब्द बच्चों के कानों तक भीपहुंच ही गए तो उन्होंने भी सुन लिया -करोना। तो उन्होंने भी सोचा पापा जरूर किसी से हमारे बारे में ही बात क्र रहे होंगे। उन के लड़के कि उस के पेपर कुछ ठीक नहीं हुएहैं पर मैंने पेपर तो पूरा किया था। और प्रश्न भी सभी आसान थे और प्रश्न भी व्ही आये थे जो मैडम ने ट्यूशन थे परन्तु क्या पता कुछ गड़बड़ हो गई हो। हो सकता है सर हमारी मैडम से चिढ़ते तो लीयेब कम नंबर दिए हो या फेल कर दिया हो। इसी लिए कहीं प्रिंसिपल मैडम का टो फोन नहीं आया हो। पर मेरे पापा भी क्या कम है गुस्से में कह दिया होगा फेल करना है तो करोना। हे भगवान अब क्या होगा। मेरा तो एक साल ही बेकार हो जायेगा। पापा भी तो मुझे हमेशा नालायक कहते रहते हैं .मैं सच में बार बार नालायक शायद नालायक तो नहीं हो गया हूँ। अब क्या किया जाये यदि मैं फेल हो गया तो क्या होगा।
उन किलड़की अपने हिसाब से अनुमान लगा लिया कि कहीं मेरे बॉय फ्रेंड का नंबर तो पाप को कहीं से मिलगया है। कहीं भैया ने पापा को तो कुछ दिया क्योंकिवह कभी कभी कान लगा कर मेरा फोन सुनता रहता है या मेरी शैली भी तो मेरे पापा के हैं कहीं उसने तो दी हो। परन्तु हमारी पड़ोसन कौन सी हमारे ही दरवाजे पर हमेशा आँख और कान लगाए रहती है किकाओं की तरफ कब देख रहा था या हमारे घर कब कौन और क्यों आया। बस इसे तो हमारे ही घर से मतलब। हमारे पापा कब ड्यूटी जाते हैं और हैं यह तो बस यही देखती है। और उसी समय बाहर जरूर आ जाती है कभी गाय को रोटी खिलने के बहाने या कभी कुत्ते को घुमाने उसी समय आती है जब पापा को जाना याना होता है। कभी बहाना होता है और कभी पापा से नमस्ते करने का। पता नहीं भी कैसा है जो हमेशा घर में ही घुसा रहता है शुरू से ही पूरी छूट दे रखी है मोहल्ले भर की खबर रखने की। वह तो कभी आस पड़ौस में नमस्ते भी नहीं करता है क्योंकि उसने तो यह काम भी इसी के जिम्मे सौंप रखा है। इस उसे खुल्ला छोड़। हमेशा हमारे घर आने ढूंढती रहती है। इसी लिए मम्मी की बहन बनी हुई है और पापा जी की शाली .उसी ने जरूर कुछ चुगली लगाई होगी। हे भगवान अब क्या होगा?
इसी तरह जब पड़ोसन को घर में काम नहीं है और घरवाले छूट मिली हुई है तो वह तो पड़ोसियों के घर तो   कान लगाए ही रहेगी क्योंकि यह तो पुराने जमाने से ही चला रहा है। उस ने भी सुन लिया कि भाई साहब जरूर मेरे बारे में ही अपनी घरवाली से बात कर होंगे।  वैसे तो वह मेरी बहन बनती है पर अंदर २ मेरे से जलती भी रहती है। अब इस में मेरा क्या कसूर है जब भगवान ने मुझे बनाया   ही इतना सुंदर है तो इस में मैं क्या करूँ। अब शक्ल सूरत तो किसी के भी हाथ में नहीं है। कालेज में लड़के मेरे पीछे मजनू बने घुमते थे। परन्तु अभी भी क्या किसी लड़की से कम हूँ। रोज योग करती हूँ कसरत करती हूँ अपने आप को फिट रखती हूँ। भगवान ने बस मुझे एक यह शरीर ही तो ठीक ठाक दिया है बाकी तो मुझ से भगवान ने मुझ से पूरी दुश्मनी निकाली है। जो यह आदमी मेरे मत्थे मढ़ दिया। इतना आलसी आदमी दुनिया में शायद ही कोई और होगा और बहाने बाज तो इतना कि कभी कोई बात कह कर देख लून हमेशा कोई बहाना तैयार रखता है। चलो उसे तो भुगत भी लूँ पर जो हमेशा माँ की हाँ में हाँ मिलाता रहता है उसका क्या  करूं .मेरी कभी सुनता ही नहीं है। और एक ये पड़ोसी है जो है जो घरवाली के हमेशा आगे पीछे घूमता रहता है। इतना कमाता है फिर भी जरा सा भी  घमंड नहीं है  हमेशा मुस्कराता रहता है बेचारा .मन खुशहो जाता उसे देख कर।  .पर अब क्या करूँ अब तो घरवालों ने यही पल्ले बाँध दिया है तो ही निभना तो पड़ेगा ही परन्तु चाहूँ तो अब भी कितने ही तैयार हो जायेंगे मेरे लिए। पर अब बच्चे भी बड़े हो गए हैं। और अब इस से शादी हो ही गई है तो अब चाहे जैसा भी है अब तो यही निभाना है। पर यह भी कुछ माने मुझे कुछ समझता ही नहीं है। बस इसे तो टाइम पर खाना नास्ता मिल जाये बस बाकि सब कुछ जाए भाड़ में और एक ये पड़ोसी है जो काली कलूटी से के पीछे भी हर दम लगा रहता है।
पर बाकि तो सब ठीक है परन्तु अब इन की लड़की इतनी बड़ी हो गई है फिर भी उसे कुछ नहीं करने देते हैं .बस पढ़ाई पढ़ाई की  एक रट लगाए रहते हैं। पता नहीं इसे क्या क्लटर बनाएंगे .पर बेशक कुछ भी बना ले बेलनी तो तब भी रोटी ही पड़ेंगी .यूं घर का काम सीखा दें। परन्तु इन्होने अपनी घरवाली को कहा होगा करोना यह  समझ नहीं आया। पर कोई बात नहीं किसी दिन भला कर उसी से पूछ लूंगी या वह किसी दिन खुद ही देगी भला वह औरत भी क्या जिस पेट पच जाए। पर वह यह जरूर कहेगी कि मत बताना या इन्हे पता न चल जाये तुझे मेरी कसम है। तुझेही बता रही हूँ।
तभी घर में टी वि पर समाचार आया कि विदेश से कोई नई बिमारी आई है। बड़ा अजीब सा नाम है उस का -करोना .बताते हैं बहुत खतरनाक है और अभी तक इस की कोई दवा भी नहीं है और अब यह भारत में भी होने लगी है। समाचार वाले एक ही समाचार को जब तक खूब ब्रेकिंग न्यूज की तरह पकाते हैं जब तक उस उठने लगे या कोई नया कांड हो जाये .
पर्नु आज मेरे मित्र भरोसे भरोसे लाल ने टी वी वालों क्योंकि उस ने आज करोना २ करके इस बिमारी को सब तक पहुंचा दिया और मेरे इसे जान गए कि यह करोना बिमारी है।

— डॉ वेद व्यथित  

डॉ. वेद व्यथित

ख्यात नाम : डॉ. वेद व्यथित नाम : वेद प्रकाश शर्मा जन्म तिथि : अप्रैल 9,1956 शिक्षा : एम्० ए० (हिंदी ),पी एच ० डी० शोध का विषय "नागार्जुन के साहित्य में राजनीतिक चेतना मेरठ विश्व विद्यालय मेरठ वर्तमान पता : अनुकम्पा -1577 सेक्टर -3 ,फरीदाबाद -121004 फोन नम्बर : 0129-2302834 , 09868842688 ईमेल : dr.vedvyathit@gmail.com Blog : http://sahiytasrajakved.blogspot.com सम्प्रति : अध्यक्ष - भारतीय साहित्यकार संघ (पंजी ) संयोजक - सामाजिक न्याय मंच (पंजी) उपाध्यक्ष - हम कलम साहित्यिक संस्था (पंजी ) शोध सहायक - अंतर्राष्ट्रीय पुनर्जन्म एवं मृत्योपरांत जीवन शोध केंद्र इंदौर ,भारत परामर्श दाता - समवेत सुमन ग्रन्थ माला सलाहकार - हिमालय और हिंदुस्तान विशेष प्रतिनिधि - कल्पान्त सम्पादकीय परामर्श - ब्रह्म चेतना सम्पादकीय सलाहकार - लोक पुकार साप्ताहिक पत्र संस्थापक सदस्य - अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,हरियाणा प्रान्त पूर्व सम्पादक - चरू (साहित्यिक पत्र ) पूर्व प्रांतीय सन्गठन मंत्री - अखिल भारतीय साहित्य परिषद परामर्श दाता : www.mohantimes .com (इ पत्रिका ) जापानी हिंदी कवि सम्मेलनों में सहभागिता अनुवाद : जापानी,रुसी ,फ्रेंच , नेपाली तथा पंजाबी भाषा में रचनाओं का अनुवाद हो चुका है प्रकाशन : मधुरिमा (काव्य नाटक ) १९८४ आखिर वह क्या करे (उपन्यास )१९९६ बीत गये वे पल (संस्मरण )२००२ आधुनिक हिंदी साहित्य में नागार्जुन (आलोचना )२००७ भारत में जातीय साम्प्रदायिकता (उपन्यास )२००८ अंतर्मन (काव्य संकलन )२००९ न्याय याचना (खंड काव्य ) 2011 साहित्य पर शोध : 'बीत गए वो पल' संस्मरण में सामाजिक चेतना कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र 'आखिर वह क्या करे ' उपन्यास में अन्तर्द्वन्द की अवधारणा विनायक मिशन्स विश्व विद्यालय तमिल नाडू 'भारत में जातीय साम्प्रदायिकता ' उपन्यास में सामाजिक बोध krukshetr विश्व विद्यालय 'मधुरिमा' काव्य नाटक पर शोध कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय नवीन सर्जन : * "व्यक्ति चित्र " नामक नवीं विधा का सर्जन किया है * "त्रि पदी" काव्य की नई विधा का सर्जन किया है अन्य *कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय में आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अंतिम सत्र की अध्यक्षता * शताधिक साहित्यिक समारोह व गोष्ठियों की अध्यक्षता की है अंर्तजाल (Internet) पर प्रकाशित विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशन : www.pravasiduniya.com www.sahityashilpi.com www.p4poetry.com http://sakhikabira.blogspot.com http://aakhrkalsh.blogspot.com http://blog4varta.blogspot.com http://utsahi.blogspot.com www.chrchamnch.com www.janokti.com www.srijangatha.com www.khabarindya.com etc. सम्मान : साहित्य सर्जन के लिए "समाज गौरव "सम्मान भारतीय साहित्यकार संसद द्वारा "मोहन राकेश शिखिर सम्मान पत्रकार विश्व बन्धु सम्मान युवा कार्यक्रम एनम खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सम्मान हिमालय और हिंदुस्तान एवार्ड हरियाणा सरकार द्वारा आपात काल के विरुद्ध किये संघर्ष के लिए ताम्र पत्र से सम्मानित विभिन्न विधाओं में निरंतर लेखन....