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गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं पर यथार्थ विमर्श : कवींद्र रवीन्द्र जयंती-विशेष

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं पर यथार्थ विमर्श !

कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जन्मतिथि कहीं 6 मई प्रदर्शित है, तो कहीं 7 मई ! दिनांक 6 मई की मध्यरात्रि को जन्म होने के कारण ऐसा हो सकता है ! बांग्लादेश 6 मई को मनाते हैं, तो भारत 7 मई को ! ध्यातव्य है, 7 अगस्त को उस महान व्यक्ति का पुण्यतिथि भी है, जो दुनिया के पहले ऐसे गीतकार हैं, जिन्होंने तीन देशों (भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश) के राष्ट्रगान को लिखा, तो एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता भी हुए । ऐसे महान व्यक्ति रवींद्रनाथ ठाकुर व रवीन्द्रनाथ टैगोर को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें सहित उनके तमाम प्रशंसकों को सादर सुमन ! गुरुदेव, कवीन्द्र आदि उपनामों से विशेषित विश्वकवि टैगोर विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के संस्थापक भी थे । उनपर अंग्रेजों को साथ देने का ठप्पा भी लगा था, किन्तु जलियाँवाला हत्याकांड के बाद जब उन्होंने ‘सर’ (Knight) की उपाधि अंग्रेज सरकार को वापस कर दिया, तब उन्हें अंग्रेजी-ठप्पा से मुक्ति मिली ! विकिपीडिया के अनुसार, उन्होंने पहली कविता 8 वर्ष की अल्पायु में लिखी थी और 1877 में सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में उनकी प्रथम लघुकथा प्रकाशित हुई थी। भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नई जान फूँकने वाले युगदृष्टा टैगोर के सृजन संसार में गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका आदि शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्य, संस्कृति और दर्शन आत्मसात किए थे। पिता के ब्रह्म-समाजी के होने के कारण वे भी ब्रह्म-समाजी थे। पर अपनी रचनाओं व कर्म के द्वारा उन्होंने सनातन धर्म को भी आगे बढ़ाया। उनके स्पष्ट दर्शन थे कि मनुष्य और ईश्वर के बीच जो चिरस्थायी सम्पर्क है, उनकी रचनाओं के अन्दर वह अलग-अलग रूपों में उभर आता है। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई शाखा हो, जिनमें उनकी रचना न हो – कविता, गान, कथा, उपन्यास, नाटक, प्रबन्ध, शिल्पकला – सभी विधाओं में उन्होंने रचना की। रवीन्द्रनाथ की प्रकाशित कृतियों में गीतांजलि, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। अंग्रेज़ी अनुवाद के बाद उनकी प्रतिभा वैश्विक रूप से प्रसारित हुई।

हिंदी भाषा में ‘राष्ट्रगान’ के असली (Real) रचयिता कौन है ? एक कयास है- भारत का ‘राष्ट्रगान’ बांग्ला से अनूदित हिंदी भाषा में है। सुनी-सुनाई बात यह भी है कि कोई कहते-  इस रचना को सुभाष चंद्र बोस ने हिंदी में अनुवाद किया था, किन्तु कोई कहते- इस रचना को अरविंद घोष ने हिंदी में अनुवाद किया था ! विदित हो, ‘बोस’ और ‘घोष’– दोनों बंगाली ‘सरनेम’ हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘राष्ट्रगान’ से सम्बंधित जो मुझे प्रतियाँ उपलब्ध कराए गए हैं, वो प्रतियाँ उस पुस्तक से है, जो कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर (रबीन्द्रनाथ टैगोर !) के निधन के बाद किसी लेखक की छपी पुस्तक की द्वितीय संस्करण में संकलित रचना से है । कहा जाता है, ‘भारत भाग्य विधाता’ शीर्षक से ठाकुर संपादित बांग्ला पत्रिका ‘तत्वबोधिनी’ में 1913 में प्रकाशित हुई थी , परंतु उक्त कविता-प्रकाशित पत्रिका की प्रति भारत सरकार के पास नहीं है और न ही सम्बंधित विभाग को जन सूचना अधिकारी के द्वारा एतदर्थ कहीं अंतरित ही किया गया है । भाषाई मानदंड के लिहाज से कभी-कभी यह संशय भी लगता है कि यह ठाकुर की रचना है या नहीं ! ‘भारत भाग्य विधाता’ का लेखन व प्रकाशन 1913 हो या उनसे पहले कभी भी- संशय-गाथा बरक़रार है ! यह रचना- लिखा समय ‘गुजरात’ नाम से कोई प्रांत नहीं था, फिर ‘मराठा’ राज्य नहीं, अपितु यह शिवाजी समर्थित/समर्पित समुदाय था, जो कि मराठवाड़ा हो सकता है या बम्बई होता और ‘गुजरात + बम्बई’ मिलकर ‘सौराष्ट्र’ था । इसलिए रचना-काल का उक्त समय यथोचित नहीं जान पड़ता ! ‘उत्कल’ यानी उड़ीसा भी तब बंगाल में था, उड़ीसा 1936 में बिहार से अलग हुआ है , संयुक्त बिहार (उड़ीसा सहित) भी 1912 में बंगाल से अलग हुआ था । इसतरह से इस रचना में उत्कल का जिक्र होना संशय उत्पन्न करता है ! यदि जिक्र होना ही था , तो ‘बिहार’ का होता ! वैसे भी ‘उत्कल’ बांग्ला शब्द नहीं , संस्कृत शब्द के ज्यादा करीब हैं , अन्यथा रचना-काल गलत उद्धृत है । जिसतरह से ‘सिंध’ को ‘सिंधु’ किया गया है, उसीतरह से अन्य शब्द पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए । इसीतरह ‘द्रविड़’ शब्द से अश्वेत-संस्कृतिबोध लिए समुदाय है, क्योंकि उन दिनों ऐसी ही मंशा लिए प्रतिबद्धता थी।

यह कैसी रचना है कि प्रांतों के जिक्र होते-होते समुदाय में घुस गए कवि ! रचना का ऐसा विग्रह अज़ीब है ! रचना में ‘हिमाचल’ अगर हिमालय है, तो ‘जलधि’ व महासागर में Indian Ocean (हिन्द महासागर) का नाम का उल्लेख नहीं है । खैर, इसे मान भी ले तो रचना में ‘तव’ , ‘गाहे’, ‘जय हे’ जैसे- शब्द या शब्द-विन्यास हिंदी के नहीं हैं। कुलमिलाकर यह रचना हिंदी भाषा लिए नहीं हैं। एक तरफ हम ‘गीता’ को आदर्श मानते हैं । कर्म को सबका गूढ़ मानते हैं , दूसरी तरफ उक्त रचना में ‘भाग्य’ शब्द को क्या कहा जाय ? ‘विधाता’ ‘अधिनायक’ के सापेक्ष है, तो इसका मतलब ‘ईश्वर’ नहीं, अपितु ‘डिक्टेटर’ से है । ‘जन गण मन’ की बात सोचा जाना, भारत-भाग्यविधाता और अधिनायक से परे की बात है, विविधा भाषा भी मिश्री घोलती है ! बावजूद ‘राष्ट्रगान’ के प्रति पूर्ण आस्था है और 52 सेकंड में समाये उनकी धुन तो देश के प्रति जोश भर देता है, किंतु राष्ट्रगान गायन ही आवश्यक है, मूक रहकर सिर्फ धुन गुनगुनाना नहीं !
इसके बावजूद यह यक्षप्रश्न यथावत है कि ‘जन गण मन’ के वास्तविक (real)  रचनाकार कौन— ‘ठाकुर’ या ‘टैगोर’ या कोई और…. ?

‘राष्ट्रगान’ पर उठा प्रतिप्रश्न और मेरा प्रत्युत्तर ! मेरे द्वारा मांगी गयी सूचना पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी के पत्रांक- 24/49/2012-पब्लिक/दि.06.03.2012 प्राप्त हुआ, जिनकी बिंदु सं.2 में लिखा है- “भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ भारत की संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को अंगीकार किया गया । इस मंत्रालय के पास उपलब्ध पुस्तकों- ‘Our National Songs’, published by the Publications Division, Ministry of Information & Technology, Govt. Of India और ‘India’s National Anthem’ written by PRABODH CHANDRA SEN के अनुसार ‘जन-गण-मन’ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचना है । मूल बांग्ला में लिखित राष्ट्रगान की प्रति  इस मंत्रालय के अभिलेखों में उपलब्ध नहीं है।”

गृह मंत्रालय के पत्रांक- 24/3/2013-पब्लिक/दि.04.01.2013 भी प्राप्त हुआ, जिनकी बिंदु सं.1 में उद्धृतानुसार ‘Our National Songs’ नवम्बर 1951 में प्रकाशित है, जबकि ‘India’s National Anthem’ का प्रथम संस्करण विश्व भारती, कलकत्ता द्वारा मई 1949 में प्रकाशित है। …..परंतु भारत सरकार ने इन दोनों पुस्तकों में ‘जनगणमन-अधिनायक’ प्रकाशित जिन  प्रतियां लिए पुस्तकीय-साक्ष्य भेजा है, वह गृह मंत्रालय के हस्ताक्षरित और मुहर प्राप्त है, जिनमें Reprinted April 1995 लिए संस्करण है । इसके साथ ही संविधान सभा की 24 जनवरी 1950 की प्रति भी संलग्न है, जिनके द्वारा ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृत किया गया है। ध्यातव्य है, भारत सरकार के पास उपर्युक्त दोनों किताब ही साक्ष्य के तौर पर है, किन्तु उनके पास बतौर साक्ष्य दोनों किताब क्रमशः नवम्बर 1951 और अप्रैल 1995 संस्करण लिए ही है। जबकि ‘राष्ट्रगान’ के रूप में यह 24 जनवरी 1950 को ही स्वीकृत हो चुका था। गृह मंत्रालय ने दूसरे व्यक्ति (श्रीमान् प्रबोध चंद्र सेन ) की किताब में छपी रचना को आधार माना है, किन्तु मुझे प्रदान कराया गया संस्करण अप्रैल 1995 का है । इतना ही नहीं, संविधान सभा की जो प्रति भेजा गया है, उनमें ‘जन गण मन’ के कवि/लेखक का नाम नहीं है तथा गीत/कविता के सभी 5 स्टेन्ज़ा में किसी एक या प्रथम-मात्र का भी जिक्र नहीं है।

OUR NATIONAL SONGS में श्रीमान् रबीन्द्रनाथ टैगोर के द्वारा संपादित ‘तत्वबोधिनी’ पत्रिका में ‘भारत विधाता’ गीत का जिक्र भर है , जबकि ‘OUR..’  पुस्तक में टैगोर के गीत ‘जय हे’ का ही जिक्र है , वहीं ‘जन गण मन’ का अनुवाद हिन्दुस्तानी भाषा में श्रीमान् सुभाष चंद्र बोस के आज़ाद हिन्द सरकार के द्वारा बताया गया है । वहीं प्रबोध चंद्र सेन की किताब को अगर मई 1949 का संस्करण लिए मान भी लिया जाय, तो भी उस किताब में टैगोर के गीत के रूप में ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान 24 जनवरी 1950 लिए पूर्णतः गलत और भ्रामक है। ‘राष्ट्रगान’ के वर्त्तमानस्वरूप के रचनाकार कौन है ? अब भी राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ रवीन्द्रनाथ टैगोर का ही होने संबंधी प्रत्यक्ष कोई प्रमाण भारत सरकार के पास नहीं है । मूल बांग्ला कृति तक उनके पास नहीं हैं । बताते चलूँ कि नोबेल पुरस्कृत कृति ‘गीतांजलि’ के गुरुदेव, टैगोर, ठाकुर से सम्बंधित कोई जानकारी गृह मंत्रालय, भारत सरकार  के पास नहीं है। यह भी जानकारी मुझे सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त हुई है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.