कविता

जल

जल है अमृत
सम्भाल कर रखो
वरना पछताओगे
हरदम।

जल का करो
न तुम दोहन
तरसेगी वरना
पीढ़ी ।

जल का संचय
ही दूर करेगा
आने वाली समस्या।

शुभम पांडेय गगन

अयोध्या, फैज़ाबाद