राजनीति

पहले ‘तबलीगी जमात’ अब ‘तलबलगी जमात’

45 दिनों की सख्त तालाबंदी को महज एक दिन में ध्वस्त कर लिया । सोशल डिसटैन्सिंग का मखोल बना दिया यह कैसा दोगलापन है । पहले कोरोना योद्धाओ के ऊपर पुष्प वर्षा की जाती है फिर मदिरालय खोलकर कोरोना को खुला निमत्रण  कोरोना योद्धा अपने घर परिवार से दूर रहकर हम सबके लिए अपने प्राणों को हथेली पर लिए सेवा कर रहे हैं , कम से कम उनका दर्द तो ज़हन में आया ही होगा, बावजूद इसके, बिना किसी सख्त ,जरूरी निर्देशों के तहत सरकार ने कैसे खुली छूट दे दी ? कहाँ गए वो सब हर रोज के दिशा निर्देश ,चेतावनी और कोरोना से सम्बंधित सुझाव और प्रस्ताव । यह कैसा आदेश था , कौनसी रणनीति के तहत मधुशालाएं खोली गयीं । राजस्व प्राप्ति के चक्कर में कोरोना को खुला निमंत्रण देकर सरकार ने अपने दायित्वों का भार कई गुना कर लिया है । जहां एक ओर जनता ने ताली,थाली ,दीप, ध्वनि इत्यादि से सरकार का प्रोत्साहन किया उसके एवज में मधुशलाएं अभी तक “तबलीगी जमात” का ही  रायता नहीं समेट पाये की “तलबलगी जमात” ने और रायता बिखेर दिया । अब इस “तलबलगी जमात” के कोरोना विस्फोट से कैसे बचोगे । मदिराप्रेमी ने भी एक बोतल के लिए पूरा परिवार ताक़ पर रख दिया । मदिरा पान के लिए घर परिवार, नियम, कोरोना, तालाबंदी सब दरकिनार कर दिया । आर्थिक संकट से जूझता देश के लिए केवल राजस्व प्राप्ति का यही एक मात्र साधन है, इस तरह तो हम अपनी नयी पीढ़ी को सीधे सीधे तौर पर नशा ,तस्करी  के गर्त में धकेल रहे हैं । क्या सन्देश दिया सरकार ने भावी पीढ़ी को? सरकार को आर्थिक स्तिथि से निबटने के लिए कठोर कदम उठाने होने और भविष्य में आने वाले महामारी के लिए कमर कसनी होगी

 —  युक्ति वार्ष्णेय “सरला”

युक्ति वार्ष्णेय 'सरला'

शिक्षा : एम टेक (कम्प्यूटर साइन्स) व्यव्साय : सी इ ओ एंड फ़ाउन्डर आफ़ "युकी क्लासेस " फ़ोर्मर सहायक प्रोफ़ेसर, हैड आफ़ कार्पोरेट अफ़ैयर्स, मोटिवेशनल ट्रैनर, करीयर काउन्स्लर , लेखिका, कवियत्री, समाज सेविका ! निवासी : जलाली, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश वर्तमान निवास स्थान : मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन : उत्तरांचल दर्पण, वसुंधरा दीप , न्यूज़ प्रिंट ,अमन केसरी, शाह टाइम्स , पंखुड़ी, उत्तरांचल दीप , विजय दर्पण टाइम्स, वर्तमान अंकुर, वार्ष्णेय पत्रिका, खादी और खाकी, न्यूजबैंच, नव भारत टाइम्स, अमर उजाला, दैनिक जागरण, जन लोकमत, पंजाब केसरी, अमर उजाला काव्य ! विधा : स्वतन्त्र लेखन शौक : इंटरनेट की दुनिया के रहस्य जानना, जिन्दगी की पाठ शाला में हरदम सीखना, पुस्तकें पढना, नए जगह घूमना और वहाँ का इतिहास और संस्कृति जानना, स्कैचिन्ग करना, कैलिग्राफ़ी, लोगो से मुखातिब होना इत्यादि |