कहानी

कहानी – मिस कॉल

रात के दस बज गए थे। दिसंबर की ठंडी रात पहाड़ों में लोग इतनी देर तक नहीं जागते खासकर गांवों में दिन भर की मेहनत मजदूरी के बाद थक कर जल्दी सोने की आदत अक्सर हर घर में देखी जा सकती है ।  गांव में दस-बारह  घर थे । पहाड़ के टीले का यह गांव भी अब थक कर सो गया था । सभी घरों की बतियां बुझ गई थीं । बाहर कड़ाके की सर्दी थी । बर्फीली चोटियों को छूकर आती ठंडी हवा अंदर तक चीर जाती थी । फुलमु  बरामदे में आकर रास्ते की तरफ देखती किसनु का कहीं कोई नामोनिशान नजर नहीं आ रहा था । वह दूर तक देखती कहीं टॉर्च की रोशनी नहीं दिखती थी क्योंकि वह अक्सर रोज ही तो लेट खा पीकर आता और आकर खूब हुड़दंग मचाता । टॉर्च तो उसके झोले में अक्सर रहती क्योंकि उसे बाजार में खाते पीते अक्सर आधी रात जो हो जाती थी ।

बच्चे सुरेंद्र और जितेंद्र जो क्रमशः नौ और छः वर्ष के थे कमरे में निश्चिंत सोए थे । सुरेंद्र चौथी में पढ़ता था जबकि जितेंद्र अभी पहली कक्षा में था । दोनों बच्चे अपनी मस्ती में सोए थे मां की बेचैनी से बिलकुल बेखबर बेचैन फुलमु थोड़ी थोड़ी देर बाद बाहर बरामदे में आकर रास्ते की ओर देखती परंतु फिर निराश होकर भीतर चूल्हे पर जा बैठती ।  चूल्हे में आग सुलग रही थी और फूलमु के भीतर भी । वह उसकी रोज-रोज की इस आदत से तंग आ गई थी । परंतु जब वह बच्चों की तरफ देखती तो उसके कदम दहलीज के भीतर जैसे ठिठक जाते वह स्वयं को संभालती और फिर अपनी गृहस्थी के सुखद सपनों में खो जाती । वह सोचती किस जन्म के पाप थे कि उसे ऐसा हमसफर मिला जिसे ना तो बच्चों की परवाह थी और ना उसकी ।

सुबह सबसे पहले उठ जाती और गौशाला में गोबर उठाती पशुओं को दुहती और घास डालती फिर चूल्हा जलाती रोटियां बनाती और बच्चों को त्यार  करके स्कूल भेजती और किशनु के थैले में रोटी का टिफिन डालकर फिर उसकी अगली दिनचर्या शुरू हो जाती।  किशनु और बच्चों के चले जाने के बाद वह घर की साफ सफाई करती कपड़े धोती और फिर पशुओं को लेकर घासनियों  की ओर चल देती वहां जाकर पशुओं को चराने के साथ साथ कभी घास काटकर लाती तो कभी अपने वजन से ज्यादा लकड़ियों का गट्ठर सिर पर उठाए घर पहुंचती। फिर बच्चों को स्कूल से आते ही संभालती उन्हें खिलाती पिलाती और फिर शाम के काम में पशुओं को दुहती उन्हें घास डालती पानी पिलाती और फिर रात का खाना तैयार करती ।

इस सारी दिनचर्या के दौरान उसे पल भर का विश्राम नहीं मिलता और अब आधी रात गए तक इस शराबी का इंतजार । अगर सो गई तो वह फिर रोटी के लिए झगड़ा करेगा बस यही सोचकर चूल्हे के पास सुलगती रहती।  वह फिर उठकर बाहर गई ।अब रात के ग्यारह बज रहे थे दूर रास्ते की तरफ देखा तो टार्च की रोशनी धीमे-धीमे गांव की ओर आती हुई दिखी । घनघोर अंधेरे में चमकती रोशनी देखकर उसे थोड़ा सुखद एहसास हुआ आ गया तो रोटी खिलाकर सो जाऊंगी । दिन भर की थकान से वदन में पीड़ा होने लगी थी । उसने चूल्हे की आग अंदर आकर और सुलगा दी और साग और मक्की की रोटियां गर्म करने लगी । चूहे के पीछे पतीले में रखा पानी हाथ लगा कर देखा तो ठंडा हो गया था उसे गर्म करने के लिए फिर उसने उसे चूल्हे पर चढ़ा दिया ताकि किशनु गर्म पानी से हाथ पांव धो सके ।गर्म पानी से हाथ पाव धोकर उसकी थकान भी उतर जाएगी ।

अब वह उसके इंतजार में अपने सारे काम को रेडी कर चुकी थी । तभी बाहर दरवाजे पर उसके आने की आहट हुई वह लड़खड़ाता हुआ धीरे धीरे चूल्हे की ओर आने लगा फुलमु ने उसे घूरकर प्यार से देखा और डांटने के अंदाज में बोली आज तू फिर पीकर आ गया ? किशनु चुप रहा जैसे उसने सुना ही नहीं । उसने चूल्हे पर रखे पतीले से गरम पानी तसले में उड़ेल कर हाथ पांव धोने के लिए तसला किसनु की तरफ सरका दिया । किशनु ने गर्म पानी से हाथ धोए तो फुलमु  ने गर्म साग थाली में डालकर ऊपर गर्म देसी घी का चम्मच उड़ेलकर मक्की की रोटियां व साग की थाली उसकी ओर बढ़ा दी । किसनु के इंतजार में उसने भी रोटी नहीं खाई थी ।किसनु जैसे ही रोटी खाने लगा तो फुलमु ने भी  अपने लिए रोटी डाली ।अभी उसने दो तीन कौर ही मुंह में डाले थे कि चूल्हे पर  रखे फुलमु के फोन की घंटी बजी।

वह उठाने ही लगी थी कि फोन बंद हो गया । उसने देखा कोई नया नंबर था जिससे मिस कॉल लगी थी । उसने फोन वापिस चूल्हे की बगल में रख दिया ।किशनु तो यूं भी नशे में था । अब वह मिस कॉल सुनकर तिलमिला उठा था । किसका फोन है वह गुस्से से बोला- फुलमु ने कहा-  पता नहीं कोई नया नंबर है । आप खुद ही कर लो और पूछ लो कौन है ? तेरा यार होगा कोई ? आधी रात को तेरी याद आ गई होगी । और फिर उसने एक भद्दी सी गाली फुलमु को देते हुए खाने की थाली एक और पटक दी। दोनों में झगड़ा बढ़ गया । किशनु ने भद्दी गालियों के साथ साथ उसे पीटना भी शुरू कर दिया । वह बेचारी रोए जा रही थी ।आधी रात को अब किसे कहे कि उसे इस राक्षस से छुड़ाए । आसपास के लोग तो सोए हुए थे ।

उसने हिम्मत करके अपने भाई को फोन लगा दिया और रोते-रोते बोली कि मुझे बचा लो नहीं तो यह मुझे आज मार देगा ।भाई ने रोती हुई बहन सुनी तो  विचलित हो उठा । उसने थाने में फोन करके सारी स्थिति से अवगत करवा दिया । अभी उनका झगड़ा चालू ही था की पुलिस गाड़ी लेकर किसनु के घर पहुंच गई । पुलिस दोनों को अपने साथ थाने ले आई और तब तक आस पड़ोस वाले भी जाग गए थे ।पड़ोसियों ने बच्चे संभाल लिए  अपने घर सुला लिए। उधर मायके वाले भी थाने पहुंच गए । आधी रात उतर चुकी थी ।दिन भर की थकान फिर पति की मार और अब थाने की परेशानी । किशनु को देखकर थानेदार  ने घूरते हुए कहा – ज्यादा शराब चढ़ी है क्या उतारते हैं तेरी शराब ।औरत पर मर्दानगी दिखाता है साले । फिर एक भद्दी सी गाली देते हुए थानेदार ने सिपाही को कहा – ले जाओ इसे अंदर और जरा इसकी गर्मी उतारो । सिपाही उसे अंदर कमरे में ले गया ।

थानेदार ने फूलमु के मुंह पर पड़े नीले निशानों को देखते हुए कहा -क्यों हुआ आपका झगड़ा पूरी बात सच सच बताओ ?उसने सुबकते  हुए सारी घटना जिसमें मिस कॉल का बहाना लेकर किशनु ने उस पर हाथ उठाया था कह सुनाई । उसने बताया मुझे नहीं पता यह किसकी मिस कॉल थी ? थानेदार ने  मिस कॉल का नंबर लेकर सिपाही को फोन लगाने के लिए कहा । सिपाही ने फोन लगाया तो वह यू .पी. के किसी बुजुर्ग का नंबर था जो अपने बेटे को फोन लगा रहा था परंतु एक डिजिट गलत लगने के कारण मिस कॉल लग गई थी ।जब उसे यह भान हुआ कि गलत नंबर लग गया है तो तुरंत उसने फोन काट दिया । यह सारी बात उस बुजुर्ग ने सिपाही से कही । उस बेचारे को क्या पता कि उसकी इस मिस कॉल से किसी के घर में भूचाल आ जाएगा ।

थानेदार ने सिपाही से पूरी बात सुनी और अब उसे सच्चाई का पता लग चुका था । थानेदार खुद अब कमरे में गया और फिर किशनु की जैसे ही सेवा शुरू की उसकी चीखें और चटक चटक की आवाजें बाहर सुनाई देने लगी । औरत के अंदर कितनी ममता होती है उसकी चीखों और चटक चटक की आवाजों से उसके कलेजे पर छुरियां चलने लगी । वह अपने चेहरे पर उभरे नीले निशान भूल गई । वह भूल गई थी  कि थोड़ी देर पहले ही तो वह उसे इसी तरह पीट रहा था । उसने अपने भाई से कहा – इसे पीटने मत दो। इसे बचा लो । भाई ने कहा-  उतरने दो इसकी गर्मी फिर आइंदा यह ऐसा नहीं करेगा ।  परंतु फुलमु तो रोए जा रही थी भाई ने एक बार फिर थानेदार से विनती की और किशनु  को छोड़ देने के लिए कहा । थाने वालों ने राजीनामा लिखवाया और किशनु को छोड़ दिया ।

औरत भी कितने ही हिस्सों में बंटी होती है । अब राजीनामा तो हो गया किशनु ने माफी भी मांग ली । अब तक उसकी शराब भी उतर गई है । अब वह क्या करे ? छोटे-छोटे बच्चे घर में हैं ।कहां जाए वह ?  अंतर्द्वंद में फंस गई । तभी भाई ने कहा-  चलो आज आप हमारे साथ घर चलो ।  मैं सुबह खुद आपको आपके ससुराल छोड़ आऊंगा  ।और किसनु को कहा तुम घर चले जाओ । यह सुबह आ जाएगी ।फिर न चाहते हुए भी फुलमु भाई के साथ चली गई । परंतु आज के इस पूरे घटनाक्रम ने उसे झकझोर कर रख दिया था । उसे अपने देह पर उभरे नीले निशानों की जरा भी पीड़ा नहीं थी । पीड़ा थी तो किसनु को थाने में पड़ी मार की । वह सोचती पता नहीं कितना मारा है उसे पुलिस ने ।और फिर वह सब दृश्य  थाने के जिसमें किसनु का रोना और चटक चटक की आवाज उसके कानों में गूंजती और फिर आंखों से आंसुओं की झड़ी लग जाती । वह स्वयं को कोसती क्यों मैंने भाई को फोन किया ? इसी कशमकश में उसने वह रात मायके में जागकर ही काट दी ।

उधर किसनु घर तो पहुंच गया परंतु उसे जो शर्मिंदगी महसूस हुई वह उसकी  बर्दाश्त से बाहर थी । सुबह गांव वालों को क्या मुंह दिखाऊंगा ? और फिर फुलमु  के सामने जो  बेइज्जती हुई  मार पड़ी उसके साथ कैसे नजरें मिलाउंगा । न जाने क्या क्या विचार मन में उठते गिरते रहे और फिर उसने गौशाला से घास बांधने की रस्सी लाकर स्वयं को कमरे में लटका लिया । सुबह जब पड़ोसी उसके बच्चे लेकर घर आए तो किशनु कमरे में टंगा हुआ झूल रहा था ।उसके प्राण पंखेरू उड़ गए थे । किशनु के इस तरह आत्महत्या करने की खबर पूरे गांव में फैल गई ।फुलमू को फोन करके तुरंत घर बुलाया गया । पुलिस आई और उसने अपनी कार्रवाई की । आत्महत्या का केस बना ।

अब फुलमु और  उसके बच्चे अनाथ हो गए थे ।फुलमु फूट फूटकर रोई । गांव में इस आत्महत्या का लोग अपने अपने ढंग से बखान करते और एक दूसरे के साथ कानाफूसी करते। कोई कहता फुलमु बदचलन थी तो कोई कहता किसनु  ही गलत था । कुछ दिन तो किशनु के मरने के बाद सगे संबंधी आते जाते रहे । फिर सब इस हादसे को भूलकर अपनी अपनी दुनिया में रम गए । फुलमु अब भी बरामदे में खड़ी होकर आधी रात तक घुप अंधेरे में रास्ते की ओर ताकती रहती है । जिधर से उसके घर की ओर मुट्ठी भर रोशनी उसकी दहलीज तक आती थी ।परंतु अब कोई रोशनी उसके घर की ओर नहीं आती । वह अपने छोटे-छोटे बच्चों को गले लगा कर सुबकती हुई रात काट लेती है ।

— अशोक दर्द

अशोक दर्द

जन्म –तिथि - 23- 04 – 1966 माता- श्रीमती रोशनी पिता --- श्री भगत राम पत्नी –श्रीमती आशा [गृहिणी ] संतान -- पुत्री डा. शबनम ठाकुर ,पुत्र इंजि. शुभम ठाकुर शिक्षा – शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड भाषा ज्ञान --- हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत व्यवसाय – राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक जन्म-स्थान-गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा (हि.प्र ] लेखन विधाएं –कविता , कहानी , व लघुकथा प्रकाशित कृतियाँ – अंजुरी भर शब्द [कविता संग्रह ] व लगभग बीस राष्ट्रिय काव्य संग्रहों में कविता लेखन | सम्पादन --- मेरे पहाड़ में [कविता संग्रह ] विद्यालय की पत्रिका बुरांस में सम्पादन सहयोग | प्रसारण ----दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना प्रसारण | सम्मान----- हिमाचल प्रदेश राज्य पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत , हिमाचल प्रदेश सिमौर कला संगम द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ , सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | इनके आलावा कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित | अन्य ---इरावती साहित्य एवं कला मंच बनीखेत का अध्यक्ष [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों का आयोजन | सम्प्रति पता –अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा स्थायी पता ----गाँव घट्ट डाकघर बनीखेत जिला चंबा [हिमाचल प्रदेश ] मो .09418248262 , ई मेल --- ashokdard23@gmail.com