कवितापद्य साहित्य

आभार

आभार प्रकट करते हैं हम
उस महामानव को
जिसने हमारे
प्रज्ञा चक्षु खोले
कपिलवस्तु के राजा
शुद्धोधन का वह पुत्र
सर्वसंग परित्यागी
गौतम नामधारी
महाकारूणिक था, जिसने
जीने का सही ढ़ंग
मानव समाज को सिखाया ।

हम चलेंगे उस रास्ते पर
मनुष्य केंद्रित है वह मार्ग
मानवता का राज्य है
समता – ममता, भाईचारे का
भव्य सत्ता का बोध है
सीमित इच्छाओं में
सुख – चैन लेते
सब प्राणियों के साथ
समभाव रखते
अपने आप में
एक यात्रा है
सच्चाई की ओर ।

हम मानेंगे उस धार को
बूटी है, भूति है यह
विभूति है मानवाली को
मनुष्य होकर जीने का
एकता के सूत्र में
वैज्ञानिकता के पथ पर
आगे बढ़ने का ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।