कविता

बिन्दास चल दो

मत डरो इस दुनियां से,
बिन्दास चल दो……..।
ज़िद करो, दुनियां बद लो,
हालात बदल दो………।
कर रहे हैं जो तुम से सवाल,
उन सवालों को भी कर दो।
प्रयास कर के तो देखो,
एक क़दम और चल दो।
परेशानियां जो क़दम उठायें,
उन को क़दमों से कुचल दो।
नफ़रतों की इस सदी को,
प्यार के रंगों से भर दो।
मत डरो इस दुनियां से,
“सीमा” बिन्दास चल दो।
— सीमा राठी

सीमा राठी

सीमा राठी द्वारा श्री रामचंद्र राठी श्री डूंगरगढ़ (राज.) दिल्ली (निवासी)