कविता

इस घड़ी ने …घड़े की

इस घड़ी ने घड़े की,
कीमत बता दी।
जो लोग…
मिट्टी से टूट चुके थे।
मिट्टी ने ,
आज अपनी ,
उनको अहमियत बता दी।
इस घड़ी ने,
घड़े की कीमत बता दी।
युगों- युगों से यह बताते रहे।
साथ मिट्टी के जीवन गीत गाते रहे।
इस घड़ी ने,
 घड़े की कीमत बता दी।
जो लोग भूल चुके थे।
आधुनिकता की दौड़ में ,
घड़ा याद आता था।
अंतिम समय के मोड पे।
आज वही घड़ा याद आ रहा है।
जीवन घड़ी के ,
इस छोर से उस छोर में।
— प्रीति शर्मा “असीम”

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com