कविता

माँ

माँ चंदन है माँ वंदन है, माँ स्नेहावतार है,
माँ का प्रेम है पावन सरिता,माँ गंगा की धार है।।
माँ के चरण है मथुरा,काशी, माँ ही प्रयागराज है,
माँ के प्रेम स्नेह में डूबे, राम,कृष्ण अवतार हैं।।
माँ का प्रेम है मधुर चांदनी, माँ सावन मल्हार है,
माँ के चरणों में ही अर्पित, यह जीवन संसार है।।
माँ ही मेरी सुखद प्रेरणा, माँ परिवाराधार है,
माँ के आशीर्वाद से मिल सकता, सारा संसार है।।
माँ तुम मेरे साथ ही रहना,जो सुख-दुख हो मुझसे कहना
            कभी न छोड़ना साथ मेरा, ‘क्योंकि’
मैं एक छोटा बिंदु कण हूँ, तुम अपरिमित आकाश मेरा।
— पंकज कुमार शर्मा ‘प्रखर’

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर' लेखक, विचारक, लघुकथाकार एवं वरिष्ठ स्तम्भकार सम्पर्क:- 8824851984 सुन्दर नगर, कोटा (राज.)