कविता

कोरोना

हे कोरोना हे कोरोना
जरा मेरी बात तो सुनो ना
क्या तू चीन देश से आया है
वुहान शहर में जन्म पाया है
तेरा भय ही सबको छाया है
सबने महामारी तुझे बताया है
देश दुनिया सामने तेरे नतमस्तक है
जहाँ जहाँ होती तेरी दस्तक है
सब रिश्ते नातों को तोड़ा है
जब से इंसानो से नाता जोड़ा है
अर्थव्यवस्था की कमर को तोड़ा है
जीवन के डोर को तोड़ा मरोड़ा है
ऐसा वक्त आया है जहाँ अब
खुद को खुद ही बचाना है
लॉक डाउन को हमें अपनाना है
सोशल डिस्टेंस,मास्क और सेनेटाइजर
इन्हीं हथियारों को ताकत बनाना है
सबको इसका महत्व बताना है
अफवाहों को जड़ से मिटाना है
— मौर्यवंशी शिव कुमार

मौर्यवंशी शिव कुमार

M- 9696668143 भदोही, उत्तर प्रदेश