कवितापद्य साहित्य

जब वह वापस आ जाएंगे

अर्थव्यवस्था पूरे देश की, इन हालातों से डगमगा गई है,
कैसे आ पाएगी गाड़ी पटरी पर, व्यवस्था चरमरा गई है,
मज़दूरों ने पलायन कर दिया, कारखानों में ताला लग गया,
कैसे पूरी होंगी ज़रूरतें, उत्पादन अगर पूरा ही रुक गया,
कितनी भी हों मशीनें लेकिन मजदूरों बिन चल कहां पाएंगी,
जंग लग जायेगा मशीनों को यदि ऐसे ही बंद पड़ी रह जाएंगी,
कृषकों के साथी हैं यह, उन्हें सहयोग भला अब कौन करेगा,
खड़ी रहेंगी फसलें सारी, कटनी आख़िर उनकी कौन करेगा,
पल पल याद करेंगे उनको जीवन की गाड़ी चल ना पाएगी,
और कभी नहीं आई होगी, याद उनकी इतना हमें सताएगी,
कर गए पलायन जो मजदूर, क्या वह फ़िर से वापस आएंगे ?
नहीं आए गर तो सोचो, कारखानों के ताले कैसे खुल पाएंगे,
सुधरेंगे हालात तभी, जब वह सब फ़िर से वापस आ जाएंगे,
अर्थव्यवस्था आएगी पटरी पर, जब कारखानें पुनः खुल जाएंगे।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: ratna.o.pandey@gmail.com फोन नंबर : 9227560264